रक्तचाप (ब्लड प्रेशर) मापने के तरीके – Blood Pressure Measurement Ke Tarike

रक्तचाप मापने के तरीके

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मिनटों में रक्तचाप (ब्लड प्रेशर) कैसे चैक करें? Minton Mein Blood Pressure Kaise Check Karein?

blood pressure

रक्तचाप यानी ब्लड प्रेशर की समस्या से परेशान ज़्यादातर लोग मिनटों में रक्तचाप मापने के तरीके जानना चाहते हैं। रक्तचाप को धमनियों की दीवारों पर ब्लड सर्कुलेशन के दबाव के तौर पर जाना जाता है। आमतौर पर रक्तचाप (बीपी) के लिए दो माप ली जाती हैं, जैसे सिस्टोलिक और डायस्टोलिक। सिस्टोलिक में दिल की धड़कन की माप ली जाती है। यह तब किया जाता है जब रक्तचाप अपने उच्चतम स्तर पर होता है। जबकि, डायस्टोलिक को दिल की धड़कन के बीच मापा जाता है। जब किसी व्यक्ति का रक्तचाप सबसे कम होता है। रक्तचाप को पहले सिस्टोलिक रक्तचाप के साथ लिखा जाता है, उसके बाद डायस्टोलिक रक्तचाप, जैसे 120/80।

दूसरे शब्दों में कहें, तो रक्तचाप या बीपी हमारे शरीर में धमनी की दीवारों पर एक दबाव के साथ रक्त का संचार है। रक्त को नियंत्रित करने वाले दबाव को रक्तचाप कहते हैं। एक स्वस्थ व्यक्ति के शरीर का सामान्य रक्तचाप 120/80 के आसपास होता है। सामान्य सीमा से नीचे या ऊपर रक्तचाप हमारे लिए नुकसानदायक होता है, जिसे आमतौर पर निम्न रक्तचाप (लो ब्लड प्रेशर) या उच्च रक्तचाप (हाई ब्लड प्रेशर) कहा जाता है।

ब्लड प्रेशर की माप – Blood Pressure Measurements

रक्तचाप मापने के तरीके को दो भागों में बांटा गया है:

रक्तचाप की माप

सिस्टोलिक ब्लड प्रेशर

सिस्टोलिक ब्लड प्रेशर वह दबाव है, जिसमें दिल पंप करता है और रक्त पूरे शरीर में घूम रहा होता है। इसका मतलब यह है कि जब दिल धड़कता है, तो रक्त घूम रहा होता है और माप में पहला नंबर सिस्टोलिक बीपी है।

डायस्टोलिक ब्लड प्रेशर

डायस्टोलिक रक्तचाप, सिस्टोलिक का उल्टा है। इस दबाव से रक्त का संचार तब होता है, जब दिल धड़कनों के बीच आराम कर रहा होता है, तो रक्त संचार कर रहा होता है। रक्तचाप मापने के तरीके में दूसरे नंबर पर डायस्टोलिक ब्लड प्रेशर है। मान लीजिए, अगर किसी व्यक्ति का बीपी 120/80 है, तो सिस्टोलिक ब्लड प्रेशर 120 और डायस्टोलिक बीपी 80 होगा।

ब्लड प्रेशर (बीपी) मापने के तरीके – Blood Pressure (BP) Measurement Ke Tarike

ऐसे कई रक्तचाप मापने के तरीके या उपकरण हैं, जिनके इस्तेमाल से रक्तचाप की माप लेने में मदद मिलती है। उनमें से कुछ इस प्रकार हैं:

स्फिग्मोमैनोमीटर के साथ 

Sphygmomanometer

व्यक्ति अपना ब्लड प्रेशर घर पर खुद माप सकते हैं या इसके लिए किसी स्वास्थ्य क्लिनिक में जा सकते हैं। रक्तचाप मापने के कई तरीके हैं, लेकिन डॉक्टर के क्लिनिक में स्फिग्मोमैनोमीटर उपकरण रक्तचाप माप का सबसे बेहतर तरीका है। इसकी मदद से आप आसानी से अपना रक्तचाप माप सकते हैं। इस डिवाइस में इन्फ्लेटेबल कफ, बल्ब, वाल्व और एक मापने वाला मीटर होता है। कफ को मरीज के हाथ के चारों तरफ लपेटा जाता है। फिर डॉक्टर बल्ब का इस्तेमाल कफ को अपेक्षित सिस्टोलिक रक्तचाप यानी लगभग 180 एमएमएचजी से पर्याप्त ऊपर फुलाने के लिए करते हैं। डॉक्टर वाल्व खोलता है और फुली हुई हवा को धीरे-धीरे दबाव छोड़ने देता है। यह रक्त को कफ से गुजरने देता है। आपके हाथ में बनी इन सभी ध्वनियों को सुनने के लिए डॉक्टर स्टेथोस्कोप इस्तेमाल करते हैं। जिस दबाव पर रक्त प्रवाह ध्वनि रुकती है, वह आपका डायस्टोलिक बीपी होता है।

डिजिटल मॉनिटर के इस्तेमाल करना

Digital Monitor for blood pressure

आप डिजिटल मॉनिटर की मदद से घर पर भी अपना बीपी चेक कर सकते हैं। यह रक्तचाप मापने के आसान तरीके में से एक है  यह दो किस्मों में उपलब्ध हैं, जैसे- बल्ब के साथ और बल्ब के बिना। डिजिटल मॉनिटर एक इन्फ्लेटेबल कफ के साथ आता है। घर पर अपना बीपी चेक करने के लिए आपको सीधा हाथ, खुली उंगलियां और पीठ सीधी करके बैठना चाहिए। कफ को अपने हाथ के चारों तरफ कसकर लपेटें और कफ को बल्ब की मदद से फुलाएं। अगर आपके डिजिटल मॉनिटर में एक अपने आप चलने वाला स्वचालित अंतर्निहित बल्ब है, तो बस स्टार्ट बटन दबाएं। कफ फूलने की शुरूआत के साथ ही मॉनिटर पर माप बढ़ना शुरू हो जाएगा। एक बार इसके 180 एमएमएचजी के आसपास पहुंच जाने के बाद कफ से दबाव निकलना शुरू हो जाएगा और मॉनिटर पर आंकड़े भी गिरने लगेंगे।

अगली बात जो आपको जाननी चाहिए, वह मॉनिटर पर प्रदर्शित होने वाला आपका रक्तचाप है। हालांकि, डिजिटल मॉनिटर से बीपी मापना आसान है, लेकिन डॉक्टर हमेशा स्फिग्मोमैनोमीटर से इसकी जांच करने की सलाह देते हैं।

कौन-सी माप ज़्यादा ज़रूरी है? Koun Si  Measurement Zyada Zaruri Hai?

पिछले कुछ वर्षों में यह साबित हो गया है कि दोनों बीपी माप बहुत ज़रूरी हैं। हालांकि, उच्च रक्तचाप की तुलना में सिस्टोलिक रक्चचाप बढ़ने पर दिल की बीमारी और स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है। ऐसा अंतर धमनियों पर पड़ने वाले दबाव के कारण हो सकता है, जब रक्त दिल से बाहर निकलता है। उच्च सिस्टोलिक रक्तचाप के जोखिम ज़्यादातर 50 साल या उससे ज़्यादा उम्र के लोगों में पाए जाते हैं।

बीपी माप प्रभावित करने वाले कारक – BP Measurement Prabhavit Karne Wale Factors

आपके बीपी को मापने से पहले कई कारकों से बचना चाहिए, क्योंकि यह आपकी रीडिंग में बदल सकते हैं। इसकी वजह से आप रक्तचाप की माप को लेकर गुमराह हो सकते हैं, जिसके कारक निम्नलिखित हैं:

  1. धूम्रपान करना
  2. परीक्षण कराने के पहले 3 से 5 मिनट तक आराम न करना
  3. परीक्षण के दौरान अस्थिर पीठ, हाथ, या पैर
  4. बात करना
  5. शराब पीना
  6. कैफीन वाले पेय या भोजन का सेवन करना
  7. भरा हुआ मूत्राशय
  8. कफ को अपने कपड़ों के चारों तरफ लपेटना

रक्तचाप मापने से पहले इन गतिविधियों से बचना ज़रूरी है, क्योंकि यह आपके रीडिंग में बड़ा अंतर डाल सकता है।

उच्च रक्तचाप – High Blood Pressure

आमतौर पर उच्च रक्तचाप को हाइपरटेंशन के नाम से भी जाना जाता है। इस स्थिति में खून के दौरे (ब्लड सर्कुलेशन) की शक्ति सामान्य सीमा यानी 120/80 से ज़्यादा बढ़ जाती है। विशेषज्ञ अक्सर हाई बीपी पर विचार तब करते हैं, जब रीडिंग 150/100 एमएमएचजी या इससे ऊपर पहुंच जाती है। हाई बीपी की स्थिति 11.3 प्रतिशत भारतीयों में पाई जाती है। यह महिलाओं की तुलना में पुरुषों में लगभग 4 प्रतिशत ज़्यादा पायी जाती है। इसके अलावा, उम्र भी उच्च रक्तचाप की संभावना बढ़ने का प्रमुख कारण है। उच्च रक्तचाप वाले लगभग 7.5 प्रतिशत लोग 18 से 39 साल, जबकि 33.2 प्रतिशत 40 से 59 उम्र के हैं। इसके अलावा सबसे ज़्यादा प्रभावित उम्र 60 और उससे ज़्यादा है, जो लगभग 63.1 प्रतिशत है।

उच्च रक्तचाप के लक्षण 

उच्च रक्तचाप के साथ आने वाली मुख्य चिंता का कारण लोगों को इसकी जानकारी नहीं होना है। आमतौर पर ज़्यादातर लोगों को यह पता ही नहीं चलता कि उन्हें उच्च रक्तचाप की समस्या है। इसका निदान करने के लिए उच्च रक्तचाप के लक्षणों को देखना बहुत ज़रूरी है। आप कुछ लक्षणों को पहचानकर इसका पता लगा सकते हैं, जैसे:

उच्च रक्तचाप के लक्षण

  1. गंभीर सिरदर्द होना
  2. बहुत ज़्यादा पसीना आना
  3. थकान महसूस होना
  4. नकसीर छूटना
  5. छाती में दर्द होना
  6. सांस लेने में परेशानी
  7. पेशाब में खून का आना
  8. दिल की अनियमित धड़कन
  9. चक्कर आना
  10. चेहरे का लाल होना

यह लक्षण हमें इसका पता लगाने में मदद करते हैं, ताकि आप तुरंत किसी स्वास्थ्य विशेषज्ञ से सलाह ले सकें।

उच्च रक्तचाप के कारण

उच्च रक्तचाप बढ़ती उम्र का प्रभाव हो भी सकता है। उच्च रक्तचाप का कारण बनने वाले अन्य कारक इस प्रकार हैं:

  • तनाव लेना
  • अनुचित जीवन विकल्प, जैसे अनहेल्दी खाना और शारीरिक व्यायाम की कमी होना
  • गर्भावस्था
  • डायबिटीज और मोटापे की समस्या होना

उच्च रक्तचाप के दुष्प्रभाव

यह समस्या कभी-कभी हमारी सोच से कहीं ज़्यादा खतरनाक साबित हो सकता है। यह ज़्यादातर उनकी अन्य चिकित्सा स्थितियों के आधार पर हर व्यक्ति पर निर्भर करता है। हाई बीपी दिल की बीमारी, दृष्टि हानि, गुर्दे का खराब होना और स्ट्रोक का प्रमुख कारण माना जाता है। जब आंकड़े 180/120 तक पहुंच जाते हैं, तो इससे नाक से खून बहना और गंभीर सिरदर्द हो सकता है। यह आमतौर पर ऐसा बीपी के मामूली उतार-चढ़ाव के दौरान नहीं देखा जाता है। इसके अलावा यह जानना ज़रूरी है कि ज़्यादातर समय उच्च रक्तचाप के लक्षण दिखाई नहीं देते हैं। ऐसे में ज़रूरी है कि आप अपने बीपी पर नजर रखें और नियमित रूप से इसकी जांच करवाते रहें।

उच्च रक्तचाप से बचाव के उपाय

अपनी नियमित जीवनशैली में थोड़ा सा बदलाव करके उच्च रक्तचाप यानी हाइपरटेंशन से बचा जा सकता है। निम्नलिखित चीजें इसमें आपकी मदद कर सकती हैं:

  1. नियमित रूप से शारीरिक व्यायाम करें
  2. ज्यादा शराब पीने से बचें
  3. स्वस्थ खाना खाएं
  4. कैफीन में कटौती करें
  5. आयोडीन का सेवन कम करें
  6. धूम्रपान छोड़ें
  7. तनाव को कम करने की कोशिश करें
  8. नियमित रूप से ध्यान करें

अपने बीपी को कम करने की तत्काल ज़रूरत के मामले में विशेषज्ञ कई सलाह देते हैं। इनमें पोटेशियम वाले भोजन, जैसे नट्स या केला, एवोकैडो, खुबानी खाने या एक गिलास चीनी वाला पानी पीने की सलाह देते हैं। इसके अलावा यह झटपट घरेलू उपचार भी आपके रक्तचाप को तुरंत कम करने में मदद कर सकते हैं।

निम्न रक्तचाप – Low Blood Pressure

Low Blood Pressure

इस स्थिति में रक्त परिसंचरण (ब्लड सर्कुलेशन) की शक्ति सामान्य रक्तचाप (120/80) से कम हो जाती है। जब यह रीडिंग 90/60 या उससे कम हो जाती है तो आमतौर पर विशेषज्ञ इसे निम्न रक्तचाप यानी लो ब्लड प्रेशर मानते हैं। भारत में लगभग 57.44 प्रतिशत लोग हाइपोटेंशन की समस्या से प्रभावित हैं। जबकि, लगभग 10.7 प्रतिशत लोगों में गंभीर हाइपोटेंशन पाया जाता है। पुरुषों की तुलना में महिलाओं को हाइपोटेंशन से पीड़ित होने का ज़्यादा खतरा होता है। 65 से 70 उम्र के मुकाबले 80 साल की उम्र वाले लोगों में हाइपोटेंशन होने का खतरा ज़्यादा होता है। हालांकि, मुख्य रूप से यह डायबिटीज वाले लोगों भी पाया जाता है।

निम्न रक्तचाप के लक्षण

हाइपोटेंशन वाले लोगों में देखा जाने वाला मुख्य लक्षण चक्कर आना है। निम्न रक्तचाप वाले लगभग 72.3 प्रतिशत लोगों को चक्कर आने का अनुभव होता है। हालांकि, हाइपोटेंशन वाले ज़्यादातर लोग हमेशा इन लक्षणों को महसूस नहीं करते हैं।

निम्न रक्तचाप के लक्षण

निम्न रक्तचाप वाले लोगों में देखे जाने वाले आम लक्षणों में निम्नलिखित शामिल हैं:

  1. चक्कर आना
  2. धुंधली दृष्टि
  3. बेहोशी
  4. छाती में दर्द
  5. मतली
  6. पानी की कमी
  7. ठंडी त्वचा
  8. त्वचा का पीला पड़ना

इन लक्षणों पर ध्यान देना बेहद ज़रूरी है, क्योंकि यह हाइपोटेंशन का निदान करने में आपकी मदद कर सकते हैं।

निम्न रक्तचाप के कारण

ऐसे कई कारक हैं, जो निम्न रक्तचाप का कारण बन सकते हैं। भोजन न करना निम्न रक्चृतचाप के सबसे प्रमुख कारणों में से एक है। आंकड़ों के मुताबिक, लगभग 89.3 प्रतिशत लोगों ने इसी वजह से निम्न रक्तचाप को महसूस किया है। हालांकि, इसके लिए कई अन्य कारक जिम्मेदार हैं, जैसे:

  1. गर्भावस्था
  2. तनाव
  3. खून की कमी
  4. पानी की कमी
  5. उपवास
  6. दिल से संबंधित समस्याएं
  7. एंडोक्राइन समस्याएं
  8. एलर्जी
  9. इंजेक्शन
  10. आपके आहार से पोषक तत्वों की हानि

इसके अलावा यह सभी कारक आपके रक्तचाप को बेहद कम कर सकते हैं। ऐसे में इन समस्याओं और हाइपोटेंशन से बचना आपके लिए सबसे ज़रूरी है।

निम्न रक्तचाप के दुष्प्रभाव

हाइपोटेंशन (निम्न रक्तचाप) का ज्यादातर समय गंभीर प्रभाव नहीं होता है। हालांकि, ब्लड प्रेशर में अचानक गिरावट से व्यक्ति को चक्कर और बेहोशी का अहसास हो सकता है। ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि दिमाग शरीर से पर्याप्त रक्त और संकेत लेना बंद कर देता है। माप में एक बड़ी गिरावट किसी भी व्यक्ति के लिए गंभीर और जानलेवा हो साबित सकती है। यह गंभीर इंफेक्शन, दवाओं और अन्य खाद्य पदार्थों से एलर्जी की वजह से भी हो सकता है। अगर कुछ समय के लिए इसका इलाज नहीं किया जाए, तो यह दौरे, चेतना की हानि या मौत का कारण भी बन सकती है।

निम्न रक्तचाप से बचाव के उपाय

जीवनशैली में बुनियादी बदलाव से आप शरीर में निम्न रक्तचाप के विकास को रोक सकते हैं। यह निवारक उपाय आपके ब्लड प्रेशर को सामान्य सीमा के करीब रखना सुनिश्चित करते हैं। इसकी रोकथाम के लिए आप इन उपायों का पालन कर सकते हैं:

Ways to Avoid Low BP

  1. समय पर उचित भोजन करें।
  2. पर्याप्त कार्बोहाइड्रेट लें।
  3. शराब का सेवन करते समय स्नैक्स खाएं।
  4. उन दवाओं के बारे में जानने की कोशिश करें, जिनसे आपको एलर्जी है।
  5. नियमित तौर पर ग्लूकोज टॉलरेंस टेस्ट कराएं।
  6. अपने ब्लड प्रेशर पर लगातार नज़र रखें।

यह निवारक उपाय रक्तचाप कम करने में आपके लिए बहुत फायदेमंद मदद हो सकते हैं। हालांकि, इसके साथ ही आपको अपने खान-पान का ध्यान रखना बहुत ज़रूरी है। गंभीर स्थिति में डॉक्टर आपको किसी भी रूप में कैफीन का सेवन करने की सलाह देते हैं। इनमें डार्क चॉकलेट, ब्लैक कॉफी या स्ट्रॉन्ग चाय पीना शामिल है। आप एक गिलास पानी में एक बड़ा चम्मच नमक भी डालकर पी सकते हैं। इससे आपका बीपी तुरंत बढ़ जाएगा, जिसके बाद आपको तुरंत डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए।

मंत्रा केयर – Mantra Care

लेख के माध्यम से आपने समझा कि रक्तचाप असल में क्या है? इसमें हाई बीपी और लो बीपी जैसी चिकित्सीय स्थितियों के साथ इसके लक्षण, कारण और रोकथाम की पूरी जानकारी है। साथ ही आपने जाना कि घर पर या डॉक्टर के क्लिनिक में अलग-अलग तरीकों से अपने बीपी को कैसे मापें।

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