Contents
- 1 करेला और डायबिटीज – Karela Aur Diabetes
- 2 करेले की न्यूट्रिशनल वैल्यू – Karele Ki Nutritional Value
- 3 डायबिटीज के लिए करेला – Diabetes Ke Liye Karela
- 4 करेले के फायदे – Karele Ke Fayde
- 5 करेले के नुकसान – Karele Ke Nuksan
- 6 जोखिम और जटिलताएं – Jokhim Aur Jatiltayein
- 7 बचाव – Bachav
- 8 करेले का सेवन करने के तरीके – Karele Ka Sevan Karne Ke Tareeke
- 9 निष्कर्ष – Nishkarsh
करेला और डायबिटीज – Karela Aur Diabetes
करेले का इस्तेमाल वर्षों से खाने और औषधी में किया जाता रहा है। डायबिटीज के लिए करेला बहुत फायदेमंद है, जिसे मोमोर्डिका चरंतिया भी कहते हैं। कई स्वास्थ्य संबंधी फायदे देने वाले करेले का सेवन करना बहुत आसान है। आपके द्वारा करेले का सेवन व्यंजन के रूप में किया जा सकता है। इसके अलावा आप इसका जूस या चाय भी बना सकते हैं। इस हरे और तिरछे आकार की सब्जी में एक अनोखी मस्से वाली त्वचा होती है, जो बेल से निकलती है। करेले में विटामिन और खनिजों की उच्च मात्रा होती है, जिसकी वजह से यह सेहत के लिए फायदेमंद विकल्प माना जाता है। इसका आकार, बनावट और कड़वाहट अलग-अलग जगह के आधार पर अलग हो सकती है, जैसे:
- दक्षिण अमेरिका
- एशिया
- अफ्रीका के हिस्से
- कैरेबियाई
यह रक्त शर्करा का स्तर भी कम करता है, जिससे डायबिटीज के उपचार में मदद मिल सकती है। आमतौर पर इसका अर्क पोषक तत्वों के पूरक यानी न्यूट्रिशनल सप्लीमेंट्स में भी उपलब्ध है। किसी व्यक्ति द्वारा वैकल्पिक या पूरक उपचार के तौर पर भी करेले का इस्तेमाल किया जा सकता है।
करेले की न्यूट्रिशनल वैल्यू – Karele Ki Nutritional Value
करेला एक फल और सब्जी दोनों है, जो विटामिन ए, सी और आयरन से भरपूर होता है। चिकित्सा प्रयोजनों के लिए कुछ डॉक्टर शोध में करेले का इस्तेमाल करते हैं।
विशेषज्ञों द्वारा किए गए कुछ शोध के अनुसार, 100 ग्राम कच्चे करेले में शामिल हैं:
- कुल कैलोरी – 16
- फाइबर – 2.6 ग्राम
- कार्बोहाइड्रेट – 3.4 ग्राम
- वसा – 158 मिलीग्राम
- पानी – 87.4 ग्राम
- प्रोटीन – 930 मिलीग्राम
डायबिटीज के लिए करेला – Diabetes Ke Liye Karela
मौजूदा समय में भी शोधकर्ता यह जानने के लिए अध्ययन कर रहे हैं कि डायबिटीज के लिए करेला किस प्रकार फायदेमंद है। इसके अलावा इससे यह जानने में भी मदद मिल सकती है कि रक्त शर्करा का स्तर कम करने और प्रबंधन में करेला फायदेमंद है या नहीं। ऐसा इसलिए है, क्योंकि इसमें मौजूद गुण इंसुलिन की तरह काम करते हैं और ऊर्जा के लिए ग्लूकोज को कोशिकाओं में ले जाने में मदद करता है। करेले के सेवन से आपकी कोशिकाएं शर्करा का उचित तरीके से इस्तेमाल कर सकती हैं, जिसे आपके लीवर, मांसपेशियों और वसा तक पहुंचाया जाता है।
करेला रक्तप्रवाह में ग्लूकोज में बदलने को रोककर पोषक तत्वों को बनाए रखता है हालांकि, कई अध्ययनों ने अभी तक प्रीडायबिटीज या डायबिटीज जैसी बीमारियों के उपचार या प्रिस्क्रिप्शन के लिए इसकी मंजूरी नहीं दी है। डायबिटीज के इलाज में करेले का किसी भी तरह इस्तेमाल करने से पहले ज़्यादातर विशेषज्ञ अध्ययन करने की सलाह देते हैं। विशेषज्ञों द्वारा करेले और डायबिटीज पर दो शोध किए गए हैं, जिसके नतीजे इस प्रकार हैं:
- पोषण चिकित्सा का इस्तेमाल कैसे करें, इस पर ज़्यादा शोध करने की ज़रूरत है।
- डायबिटीज की सामान्य दवा के साथ मिलने पर करेला की टाइप 2 डायबिटीज में फ्रुक्टोसामाइन का स्तर कम करता है।
- हालांकि, यह मौजूदा दवा की कम खुराक की तुलना में कम असरदार है।
इस स्थिति में आपको यह जानने ज़रूरत है कि यह टाइप 2 डायबिटीज को कैसे प्रभावित करता है। मौजूदा समय में डायबिटीज के उपचार के तौर पर इस्तेमाल करने के लिए कोई चिकित्सा तकनीक नहीं है। आप करेले के इस्तेमाल से एक संतुलित आहार का सेवन कर सकते हैं। हालांकि, कई बार करेले का सेवन करना आपके लिए खतरनाक हो सकता है।
करेले के फायदे – Karele Ke Fayde
स्वाद में बेहतरीन करेला सेहत के लिए भी बहुत फायदेमंद है। इसी तरह करेले के अर्क के कुछ फायदे निम्नलिखित हैं-
कई पोषक तत्वों का प्रमुख स्रोत
करेला कैटेचिन, गैलिक एसिड, एपिक्टिन और क्लोरोजेनिक एसिड जैसे एंटीऑक्सिडेंट में भी उच्च होता है। यह आपकी कोशिकाओं को नुकसान से बचाने में मदद कर सकता है या उनको बचा सकता है। एक कप करेला कई तरह के पोषक तत्वों से भरपूर होता है, जो कई पोषक तत्व प्रदान करता है, जिनमें शामिल हैंः
- कैलोरी: 20
- विटामिन सी: 93 प्रतिशत
- कार्ब्स: 4 ग्राम
- फाइबर: 2 ग्राम
- पोटेशियम: आरडीआई का 8 प्रतिशत
- विटामिन ए: आरडीआई का 44 प्रतिशत
- जिंक: आरडीआई का 5 प्रतिशत
- फोलेट: आरडीआई का 17 प्रतिशत
- आयरन: आरडीआई का 4 प्रतिशत
विटामिन सी एक ज़रूरी सूक्ष्म पोषक तत्व है, जो बीमारियों को रोकने में मदद करता है। यह हड्डियों में कैल्शियम विकसित करता है और घाव भरने में मदद करता है। विटामिन सी से भरपूर करेले में विटामिन ए की भी उच्च मात्रा मौजूद होती है, जो एक वसा में घुलनशील विटामिन है। इसकी मदद से आप त्वचा के स्वास्थ्य और दृष्टि में सुधार कर सकते हैं।
रक्त शर्करा में कमी
करेले में कई शक्तिशाली चिकित्सीय विशेषताएं होती हैं। यही कारण है कि कई स्वदेशी समुदाय डायबिटीज से संबंधित बीमारियों का इलाज करने के लिए करेले का इस्तेमाल करते हैं। हाल के वर्षों में पाया गया है कि यह रक्त शर्करा के रेगुलेशन में काफी हद तक मदद कर सकता हैं।
शोध के नतीजों में शामिल हैं:
अगर आप तीन महीने तक रोजाना 2,000 मिलीग्राम करेले का सेवन करते हैं, तो इससे रक्त शर्करा और हीमोग्लोबिन ए1सी का स्तर कम हो सकता है। यह आपके मेटाबॉलिज़्म को कोशिकाओं में चीनी का इस्तेमाल करने के तरीके में सुधार करता है। साथ ही यह इंसुलिन रिलीज को भी बढ़ावा देता है। हालांकि, मानव अनुसंधान एक बड़े और उच्च गुणवत्ता वाले अध्ययन तक सीमित है। इस तरह यह बताता है कि करेले सामान्य आबादी में रक्त शर्करा का स्तर कैसे प्रभावित करता है।
कैंसर से लड़ने वाले गुण
शोध के अनुसार, करेले में ऐसे रसायन होते हैं, जिनमें कैंसर से लड़ने की क्षमता होती है। उदाहरण के लिए, एक टेस्ट-ट्यूब अध्ययन में पाया गया कि इसका अर्क पेट, फेफड़े और गले के पीछे नाक के पिछले हिस्से यानी नासोफरीनक्स में कैंसर कोशिकाओं को खत्म करने में असरदार था।
यह अर्क स्तन कैंसर की कोशिकाओं के विकास और प्रसार को रोकने में मदद करता है। साथ ही अन्य टेस्ट ट्यूब में कैंसर कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाता है। यह प्रयोग एक प्रयोगशाला में अलग-अलग कोशिकाओं पर इसके अर्क की मजबूत खुराक के इस्तेमाल से किए गए थे। हालांकि, यह देखने के लिए अभी कई शोध की ज़रूरत है कि करेले सामान्य भोजन मात्रा में होने पर मनुष्यों में कैंसर की बढ़ोतरी और विकास को कैसे प्रभावित करते हैं।
कोलेस्ट्रॉल के स्तर कम करता है
कोलेस्ट्रॉल का उच्च स्तर आपकी धमनियों में फैटी प्लाक बना सकता है। यह आपके दिल को रक्त पंप करने के लिए ज़्यादा मेहनत करने और दिल की बीमारी के जोखिम को बढ़ाने के लिए मजबूर करता है। इस मामले में, करेला कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करता है, जिससे समग्र दिल की स्वास्थ्य को बढ़ावा देने में मदद मिल सकती है। एक एसोसिएशन ने उच्च कोलेस्ट्रॉल के स्तर का पता लगाने के लिए चूहों पर करेले के अर्क का परीक्षण किया।
नतीजों के अनुसार, करेले के अर्क से कुल कोलेस्ट्रॉल, खराब एलडीएल कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड्स सेतर में काफी कमी आई। इसके अलावा करेले पर किए अन्य शोध परीक्षणों में पाया गया है कि यह जानवरों में कोलेस्ट्रॉल कम करने वाला फायदेमंद विकल्प है। इसके अर्क की भारी मात्रा का इस्तेमाल बीमारियों के उपचार में किया जाता है। ऐसे में शोधकर्ताओं को यह देखने की ज़रूरत है कि क्या यही प्रभाव उन लोगों में होते हैं, जो संतुलित आहार के तौर पर करेले का सेवन करते हैं।
वजन घटाने में मदद
करेले कैलोरी में कम और फाइबर में उच्च होते हैं, जो इसे वजन घटाने वाले आहार के लिए एक बेहतर विकल्प बनाते हैं। इसका एक कप यानी 94 ग्राम भोजन लगभग 2 ग्राम फाइबर देता है, जो आपके पाचन तंत्र से गुजरने में लंबा समय लेता है और आपको कम भूख लगती है।
- यह आपको लंबे समय तक भरा हुआ महसूस करने में मदद करता है और भूख या भूख का अहसास कम होता है। उच्च-कैलोरी के बजाय करेले का सेवन करने से आपको अपने फाइबर खपत को बढ़ावा देने में मदद मिल सकती है। साथ ही कैलोरी सेवन को कम करने से आपका वजन भी कम होता है।
- कई अध्ययनों के मुताबिक, यह वसा जलाने में भी मदद करता है।
- एक परीक्षण के अनुसार, दिन में एक बार 4.8 ग्राम करेले के अर्क से बनी गोली खाने से पेट की चर्बी में काफी कमी आती है। सात हफ्ते बाद आपकी कमर की परिधि से औसतन 0.5 इंच यानी 1.3 सेमी कम हो सकती है।
स्वादिष्ट और कई प्रकार
इसमें एक मजबूत स्वाद होता है, जो कई तरह के व्यंजनों का पूरक होता है। इसे कई तरह से बनाया जा सकता है या आप इसे कच्चा भी खा सकते हैं। इसे बनाने के लिए सबसे पहले करेले को धोकर लंबाई में आधा काट लें। इसके बाद चाकु या स्पैटुला की मदद से इसके सारे बीज निकाल लें और फलों को पतले स्लाइस में काट लें। पैन-फ्राइड, स्टीम्ड या बेक होने के बाद आप इसे अपनी पसंदीदा फिलिंग से भरकर भी परोस सकते हैं।
करेले के नुकसान – Karele Ke Nuksan
करेले थोड़े समय तक सेवन करने के लिए सुरक्षित होते हैं। हालांकि, कभी-कभी कुछ लोगों को इसके दुष्प्रभाव हो सकते हैं, जो इसे लंबे समय करेला खाना पसंद करते हैं। इसके दुष्प्रभावों में शामिल हैं:
- दस्त और पेट दर्द
- सिरदर्द, बुखार और कोमा के लक्षण (बीज के ज़्यादा सेवन के कारण)
- निम्न रक्त शर्करा (हाइपोग्लाइसीमिया)
- पेट की खराबी
- पेट में ऐंठन
जोखिम और जटिलताएं – Jokhim Aur Jatiltayein
आपको अपने आहार में करेले की कम मात्रा का इस्तेमाल करना चाहिए। अन्य दवाओं के साथ प्रतिक्रिया से इसके नकारात्मक दुष्प्रभाव हो सकते हैं। करेले के सेवन से संबंधित कुछ जोखिमों और जटिलताओं में शामिल हैं:
- लीवर में खराबी
- फेविस्म (यह एनीमिया का कारण बनता है)
- योनि से रक्तस्राव, संकुचन और गर्भपात
- उल्टी, दस्त, और आंतों की अन्य समस्याएं
- रक्त शर्करा को कम करना (अगर इंसुलिन लिया जाता है)
- रक्त शर्करा को नियंत्रित करने में समस्या (जिनकी हाल ही में सर्जरी हुई है)
बचाव – Bachav
हमेशा से ही बचाव और रोकथाम को इलाज से बेहतर माना गया है। इस स्थिति में करेले से संबंधित सभी जानकारी आपके लिए बहुत ज़रूरी है। कुछ सावधानियों का पालन करके संभावित जोखिम से बचा जा सकता है, जैसे:
- ज़्यादातर लोगों के लिए करेले का सेवन सुरक्षित होता है, लेकिन कुछ लोगों को इससे मतली आ सकती है। हालांकि, करेले के इस्तेमाल से होने वाले दीर्घकालिक फायदे अज्ञात है।
- गर्भावस्था में करेले का सेवन नुकसानदायक हो सकता है। स्तनपान कराने वाली महिलाओं के लिए इसके फायदे की उचित जानकारी नहीं है। ऐसे में गर्भावस्था के दौरान आपको इससे परहेज़ की सलाह दी जाती है।
- इसमें मौजूद यौगिक जानवरों में मासिक धर्म के दौरान रक्तस्राव और गर्भपात का कारण बन सकते हैं।
- करेले का नियमित सेवन करने वाले लोगों के रक्त में शर्करा का स्तर कम हो सकता है। रक्त शर्करा कम करने के लिए दवाएं लेने वाले डायबिटीज पीड़ितों द्वारा करेले का सेवन करना फायदेमंद विकल्प हो सकता है। आहार में शामिल करने पर करेला रक्त शर्करा का स्तर कम करता है। इसीलिए, रक्त में शर्करा की निगरानी करना आपके लिए बहुत ज़रूरी है।
- कुछ बीजों और फलियों को खाने से जी6पीडी की कमी वाले लोगों को फेविस्म हो सकता है। फेविस्म एक बीमारी है, जिसे फवा बीन भी कहते हैं। यह कुछ लोगों में खून की कमी (एनीमिया), सिरदर्द, बुखार, पेट दर्द और कोमा का कारण बनती है। इन बीजों में एक रसायन होता है, जो फवा बीन यौगिकों की तरह होता है। अगर आपके शरीर में जी6पीडी की कमी है, तो आपको करेले से परहेज़ करना चाहिए।
- शोधकर्ताओं की मानें, तो इससे सर्जरी के दौरान और बाद में रक्त शर्करा प्रबंधन में रुकावट आ सकती है। इसलिए, सर्जरी करवाने वाले किसी भी व्यक्ति को कम से कम दो हफ्ते पहले करेले का सेवन बंद कर देना चाहिए।
करेले का सेवन करने के तरीके – Karele Ka Sevan Karne Ke Tareeke
करेले को अपने दैनिक आहार में शामिल करना आपके लिए आसान है। ऐसा इसलिए है, क्योंकि आपके द्वारा करेले का सेवन कई तरह से किया जा सकता है। आप करेले को सलाद के तौर पर कच्चा खा सकते हैं या चाय के तौर पर इसका सेवन कर सकते हैं।
रेसिपी 1: करेले की चाय
सामग्री:
- बिना बीज वाले 3 से 4 करेले के टुकड़े या पत्ते
- 200 मिलीलीटर पानी
- शहद या एगेव सिरप जैसी प्राकृतिक मिठास
विधि:
- एक चाय के बर्तन में आधा पानी भरें और 10 मिनट तक कम आंच पर उबालें।
- करेले के स्लाइस को उबलते पानी में डालें और अच्छी तरह मिलाएं, ताकि सभी पोषक तत्व घुल जाएँ।
- आंच बंद करने के बाद शहद डालें और कुछ मिनटों के लिए अलग रख दें।
- सामग्री को छान लें और परोसें।
रेसिपी 2: तला हुआ करेला
सामग्री:
- 1 बड़ा चम्मच जैतून या वनस्पति तेल
- बिना बीज का करेला, कटा हुआ
- 3 से 4 लहसुन की कली
- 1 टमाटर बारीक कटा हुआ
- 1 प्याज, बारीक कटी हुई
- दो अंडे
- पीसी हुई काली मिर्च
- नमक स्वादानुसार
विधि:
- एक सॉस पैन को बर्नर पर प्रीहीट करें और उसमें 1 बड़ा चम्मच जैतून या वनस्पति तेल डालकर गर्म करें।
- उसी पैन में बारीक कटी प्याज़ और कुटी हुई लहसुन की कलियां डालें।
- हल्का भूरा रंग होने तक सामग्री को हिलाएं।
- पैन में कटे हुए टमाटर डालें और अच्छी तरह से भूनें।
- टमाटर को 2 से 3 मिनट तक भूनने के बाद कढ़ाई में कटे हुए करेले डाल दीजिये।
- लगभग 15 मिनट के लिए सामग्री धीमी आंच पर ढ़ककर पकाएं।
- इसके बाद दो अंडों को एक साथ फेंटकर पैन में डालें।
- पूरी तरह से पकने तक अंडे को लगातार चलाते रहें।
- पैन को आंच से हटाएं और सामग्री पर नमक और काली मिर्च की सीज़निंग करें।
- आप इसे सादा खा सकते हैं या नूडल्स और चावल के साथ भी परोस सकते हैं।
निष्कर्ष – Nishkarsh
लेख में डायबिटीज से पीड़ित लोगों के लिए करेले के कुछ व्यंजन दिए गए हैं। इसके अलावा आपको करेले के फायदे और नुकसान से जुड़ी सभी ज़रूरी जानकारी भी प्रदान की गई है। इससे आपको यह जानने में मदद मिल सकती है कि डायबिटीज के मरीजों को इसे खाते समय क्या सावधानियां बरतनी चाहिए।
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