Contents
- 1 बार-बार पेशाब आना/बहुमूत्रता (पॉल्यूरिया) क्या है? Polyuria Kya Hai?
- 2 डायबिटीज के तीन पी – Diabetes Ke Teen P
- 3 पॉल्यूरिया के लक्षण – Polyuria Ke Lakshan
- 4 पॉल्यूरिया के कारण – Polyuria Ke Karan
- 5 पॉल्यूरिया का निदान – Polyuria Ka Nidan
- 6 पॉल्यूरिया का उपचार – Polyuria Ka Upchar
- 7 मंत्रा केयर – Mantra Care
बार-बार पेशाब आना/बहुमूत्रता (पॉल्यूरिया) क्या है? Polyuria Kya Hai?
बहुमूत्रता यानी बार-बार पेशाब आना (पॉल्यूरिया) गंभीर बीमारी का संकेत हो सकता है। इस स्थिति में अक्सर आप अचानक से ज़्यादा पानी पीने लगते हैं। यह समस्या आगे चलकर डायबिटीज मेलिटस और डायबिटीज इन्सिपिडस जैसे कई चिकित्सा मुद्दों का कारण बनती है। इसके अलावा, दवाएं, कॉफी, शराब, किडनी की बीमारी और इलेक्ट्रोलाइट असंतुलन पॉल्यूरिया के प्रमुख कारणों में से एक हैं।
किडनी पानी और कणों को तरल पदार्थ से छानकर पेशाब का उत्पादन करती हैं, जो हम संचार प्रणाली के कार्यों के बाद लेते हैं। वयस्कों द्वारा उत्सर्जित पेशाब की मात्रा के लिए मानक अंक हर दिन 2.5 लीटर है। पॉल्यूरिया की समस्या तब होती है, जब एक वयस्क 3 लीटर से ज़्यादा पेशाब का उत्पादन करते हैं, फिर भले ही वह कितनी बार पेशाब करते हों।
नियमित रूप से या बार-बार पेशाब आना एक अलग समस्या है, लेकिन कई बार यह बार-बार पेशाब आने (पॉल्यूरिया) या रात के समय ज़्यादा पेशाब आने (नोक्टूरिया) से संबंधित जुड़ा हो सकती है। डॉक्टरों के मुताबिक, यह डायबिटीज या डायबिटीज के प्रकारों का सबसे आम लक्षण है। इसके अलावा यह गंभीर पानी की कमी (डिहाइड्रेशन) की समस्या भी पैदा कर सकती है। अगर समय रहते मरीजों में समस्या का इलाज नहीं किया जाए या अनुपचारित छोड़ दिया जाए, तो इससे समय के साथ आपकी किडनी के कामकाज को नुकसान पहुंच सकता है।
डायबिटीज के तीन पी – Diabetes Ke Teen P
डायबिटीज के तीन पी इसके सबसे आम लक्षणों में से एक है। आमतौर पर किसी व्यक्ति को यह लक्षण एक साथ होते हैं। इन तीनों पी का विस्तार नीचे दिए प्रकार से किया जा सकता है, जैसे:
ज़्यादा प्यास लगना (पॉलीडिप्सिया)
ज़्यादा प्यास लगना यानी पॉलीडिप्सिया एक चिकित्सा शब्द है, जिसका इस्तेमाल ज़्यादा प्यास लगने के लिए किया जाता है। पॉलीडिप्सिया की समस्या वाले व्यक्ति का मुंह लगातार सूखा रहता है, जिससे उसे हर समय प्यास लगने का अहसास हो सकता है। डायबिटीज से पीड़ित व्यक्तियों में उच्च रक्त शर्करा का स्तर अक्सर पॉलीडिप्सिया का कारण बनता है। जब आपके शरीर में रक्त शर्करा का स्तर बढ़ता है, तो किडनी पेशाब के ज़रिए आपके सिस्टम से फालतू ग्लूकोज को बाहर निकालने की कोशिश करती है। इससे आपको बार-बार प्यास लगती है और लगातार पेशाब आने की समस्या होती है। इस बीच दिमाग आपको ज़्यादा मात्रा में तरल पदार्थ पीने के लिए उकसाता है, जो आपके शरीर द्वारा निकाला जा रहा रहा है। यह व्यक्ति में तेज प्यास का मुख्य कारण बनता है, जो डायबिटीज से संबंधित है।
बार-बार पेशाब आना (पॉल्यूरिया)
सामान्य से ज़्यादा पेशाब आने को चिकित्सा भाषा में पॉल्यूरिया कहा जाता है। एक स्वस्थ व्यक्ति रोज़ाना औसतन 1 से 2 लीटर (4 से 8 कप के बराबर) पेशाब करता है। शोधकर्ताओं की मानें, तो हर दिन 3 लीटर से ज़्यादा पेशाब का उत्पादन होना पॉल्यूरिया का मुख्य लक्षण है। जब आपके शरीर में रक्त शर्करा का स्तर बहुत ज़्यादा होता है, तो आपका शरीर पेशाब के ज़रिए अतिरिक्त ग्लूकोज को बाहर निकालने की कोशिश करता है। इस तरह आपकी किडनी ज़्यादा मात्रा में पानी को फिल्टर करने लगती है, जिसकी वजह से आपको ज़्यादा बार पेशाब करने की इच्छा होती है।
ज़्यादा भूख लगना (पॉलीफैगिया)
ज़्यादा भूख लगना कई बार लोगों में किसी गंभीर बीमारी का संकेत हो सकता है, जिसे पॉलीफैगिया के नाम से जाना जाता है। हालांकि, ज़्यादातर लोगों को कुछ विशेष स्थितियों में ज़्यादा भूख लगने का अहसास होता है, जैसे व्यायाम के बाद या थोड़े समय तक कुछ नहीं खाने पर। डायबिटीज से पीड़ित मरीजों का शरीर ग्लूकोज का इस्तेमाल ऊर्जा के तौर पर नहीं कर पाता है। ऐसा इसलिए है, क्योंकि इस स्थिति में इंसुलिन का कम स्तर ग्लूकोज को कोशिकाओं में जाने से रोकता है। इससे डायबिटीज वाले लोगों के लिए ऊर्जा उत्पन्न करना काफी कठिन हो जाता है। इससे उन्हें ज़्यादा भूख लगती है, जो नियमित भोजन करने पर शांत नहीं होती है। इसके अलावा भूख का अहसास होने पर ज़्यादा खाने से रक्त शर्करा में ग्लूकोज जुड़ जाता है, जिससे डायबिटीज पर काबू पाना काफी मुश्किल हो जाता है।
पॉल्यूरिया के लक्षण – Polyuria Ke Lakshan
उच्च रक्त शर्करा स्तर की समस्या होने पर मरीजों में डायबिटीज का निदान किया जाता है, जिससे उन्हें पॉल्यूरिया हो सकता है। इसके अलावा यह समस्या उन लोगों को भी प्रभावित कर सकती है, जो बिना निदान डायबिटीज के लक्षणों को अनुभव कर रहे हैं। पॉल्यूरिया और डायबिटीज के मरीजों में एक लक्षण (बहुत ज़्यादा पेशाब आना) बहुत आम है। हालांकि, स्थिति या बीमारी के आधार पर पॉल्यूरिया के कुछ अन्य लक्षण भी हो सकते हैं।
बार-बार पेशाब आने की समस्या का सबसे आम लक्षण दिन और रात में नियमित अंतराल पर असामान्य रूप से ज़्यादा मात्रा में पेशाब का उत्पादन है। इससे आपको बार-बार पेशाब आने यानी पॉल्यूरिया की समस्या होती है, जो खासतौर से रात के समय में देखी जाती है। अगर आप पॉल्यूरिया का पता लगाना चाहते हैं, तो आपको सबसे पहले यह जानना चाहिए कि आप कितनी मात्रा में पेशाब का उत्पादन कर रहे हैं। साथ ही आपको कई अन्य बातों पर भी नज़र रखनी चाहिए, जैसे आप कितना पीते हैं, कितनी बार पेशाब करते हैं और हर बार बाथरूम जाने पर आप कितनी मात्रा में पेशाब का उत्पादन करते हैं।
पॉल्यूरिया के कारण – Polyuria Ke Karan
पॉल्यूरिया से पीड़ित हर व्यक्ति को डायबिटीज की बीमारी नहीं होती है। हालांकि, डायबिटीज वाले हर व्यक्ति को जीवन में कभी भी पॉल्यूरिया हो सकता है। कई कारक पॉल्यूरिया का प्रमुख कारण हो सकते हैं, जिनके बारे में नीचे बताया गया हैः
डायबिटीज मेलिटस
पॉल्यूरिया के सबसे आम कारणों में से एक डायबिटीज मेलिटस है। इस स्थिति में आपकी किडनी की नलियों में रक्त शर्करा यानी ग्लूकोज का उच्च स्तर बनता है, जिससे आपके द्वारा उत्पादित पेशाब की मात्रा बढ़ जाती है। इंसुलिन रक्तप्रवाह से ग्लूकोज को आपकी कोशिकाओं में पहुंचाता है, जहां इसे ऊर्जा के लिए इकट्ठा या इस्तेमाल किया जाता है। ऐसे में आपका शरीर पर्याप्त इंसुलिन का उत्पादन नहीं करता है। इसके अलावा डायबिटीज होने पर शरीर इंसुलिन का इस्तेमाल नहीं कर सकता है। अगर अनुपचारित छोड़ दिया जाए, तो उच्च रक्त शर्करा का स्तर आपकी नसों, आंखों, किडनी और दूसरे शारीरिक अंगों को नुकसान पहुंचा सकता है। डायबिटीज मेलिटस के लक्षणों में शामिलहैं:
- धुंधली दृष्टि
- बार-बार या लगातार पेशाब आना
- ज़्यादा भूख लगना
- बार-बार प्यास लगना
- वजन कम होना
- देर से ठीक होने वाले घाव
डायबिटीज इन्सिपिडस
यह एक प्रकार का डायबिटीज है, जिसमें आपका शरीर पर्याप्त एंटीडाययूरेटिक हार्मोन का उत्पादन नहीं करता है। इससे आपके द्वारा उत्पादित पेशाब की मात्रा भी बढ़ जाती है। एडीएच या वैसोप्रेसिन, एंटीडाययूरेटिक हार्मोन का दूसरा नाम है। आपकी पिट्यूटरी ग्रंथि किडनी में द्रव अवशोषण प्रक्रिया में शामिल होकर एडीएच का उत्पादन करती है। अगर इस बीमारी वाले लोग बहुत सारा पानी पीते हैं, तो भी उनकी प्यास नहीं बुझती है। बहुत से लोग डायबिटीज इन्सिपिडस और डायबिटीज मेलिटस की बीमारी को एक जैसा समझने की गलती करते हैं, लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं हैं। डायबिटीज मेलिटस को कभी-कभी डायबिटीज के तौर पर भी जाना जाता है। यह ज़्यादा रक्त शर्करा स्तर की खासियत वाली स्थिति है। आमतौर पर इसे टाइप 1 या टाइप 2 डायबिटीज के तौर पर बांटा जा सकता है। आपको बता दें कि यह दोनों ही एक दुसरे से बिल्कुल अलग हैं।
डायबिटीज इन्सिपिडस के कुछ लक्षण इस प्रकार हैं:
- ज़्यादा प्यास लगना
- ठंडे पेय पीना ज़्यादा पसंद करना
- ज़्यादा मात्रा में पीले पेशाब का उत्पादन
- रात में बार-बार पेशाब करने के लिए उठना
नेफ्रोजेनिक डायबिटीज इन्सिपिडस
अगर आपके शरीर में पर्याप्त एडीएच का उत्पादन नहीं होता है, तो पेशाब की मात्रा बढ़ सकती है। यह अक्सर तब भी बढ़ सकता है, जब आपकी किडनी उनसे गुजरने वाले द्रव की मात्रा को नियंत्रित करने में असमर्थ होती है। नेफ्रोजेनिक डायबिटीज इन्सिपिडस इस स्थिति के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला चिकित्सा शब्द है। इसके अलावा अगर डॉक्टर को लगता है कि आपके पॉल्यूरिया का मुख्य कारण डायबिटीज हो सकता है, तो इसका पता लगाने के लिए वह आपका रक्त ग्लूकोज परीक्षण करेंगे। अगर आपको डायबिटीज के किसी भी प्रकार से पॉल्यूरिया होता है, तो डॉक्टर आपके डायबिटीज को प्रबंधित करने में मदद के लिए चिकित्सा और जीवनशैली में बदलाव की सलाह देंगे। नेफ्रोजेनिक डायबिटीज इन्सिपिडस के कई लक्षण हैं, जिसमें से कुछ निम्नलिखित हैं:
- भारी या गीले डायपर
- बिस्तर गीला करना
- नींद न आना
- बुखार
- उल्टी
- कब्ज
- देर से होने वाला विकास
- वजन कम होना
आपकी इस बीमारी के इलाज में डॉक्टर नीचे दिए कुछ उपचारों की मदद ले सकते हैं, जैसे:
- नियमित व्यायाम
- आहार में बदलाव
- इंसुलिन इंजेक्शन
- ओरल दवाएं
ऐसे कई अन्य कारक किसी व्यक्ति में पॉल्यूरिया का कारण बन सकते हैं। इसमें बहुत ज़्यादा पानी पीने से लेकर किडनी की खराबी जैसी गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं भी शामिल हैं। निम्नलिखित कारक पॉल्यूरिया के सबसे सामान्य कारणों में से एक हैं।
मूत्रवर्धक (ड्यूरेटिक) दवाएं Diuretic Medications
दिल की धड़कन रुकना और उच्च रक्तचाप सहित कई गंभीर बीमारियों को दूर करने के लिए कई दवाएं इस्तेमाल की जाती हैं। इनसे बार-बार पेशाब आने की समस्या को रोकने में मदद मिलती है। गलत डोज लेने पर दवाएं व्यक्ति में पॉल्यूरिया की समस्या पैदा कर सकती हैं। हालांकि, गैर-ज़रूरी पेशाब आने की समस्या को कम करने के लिए डॉक्टर आपकी ज़रूरत के हिसाब से आपकी दवाओं की डोज में बदलाव कर सकते हैं।
लिथियम
लिथियम मानसिक बीमारी वाले लोगों के लिए इस्तेमाल की जाने वाली दवा है, जिससे मूड संबंधी विकारों के इलाज में मदद मिलती है। कई बार यह आपके शरीर को नुकसान पहुंचाती है, जिससे आपको ज़्यादा पेशाब आने की समस्या होती है। अगर मरीज लिथियम का सेवन नियमित तौर पर करते हैं, तो यह उनकी किडनी को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकती है। इससे उन्हें लिथियम-इंड्यूस्ड नेफ्रोजेनिक डायबिटीज इन्सिपिडस के साथ पॉल्यूरिया (बार-बार पेशाब आना) और पॉलीडिप्सिया (ज़्यादा प्यास लगना) की समस्या हो सकती है। अगर आपको पहले से ही पॉल्यूरिया की बीमारी है और लिथियम का नियमित सेवन जारी है, तो किडनी हमेशा के लिए खराब हो सकती हैं। इसके कारण आपको स्थायी यानी हमेशा के लिए पॉल्यूरिया हो सकता है।
शराब या कैफीन का सेवन
कैफीन और शराब दोनों में ही मूत्रवर्धक यानी ड्यूरेटिक गुण होते हैं। अगर आप इनमें से किसी भी पेय पदार्थ का ज़रूरत से ज़्यादा इस्तेमाल करते हैं, तो आपको पॉल्यूरिया की समस्या से पीड़ित हो सकते हैं। यह आपके शरीर में गंभीर पानी की कमी यानी डिहाइड्रेशन का कारण बन सकता है। नियमित रूप से शराब का सेवन करने वाले लोगों को इसके ड्यूरेटिक प्रभाव के कारण बार-बार पेशाब आने की समस्या हो सकती है। हालांकि, कैफीन का ड्यूरेटिक प्रभाव उन व्यक्तियों में समय के साथ थोड़ा कम होने की संभावना होती है, जो दैनिक आधार पर कैफीन का इस्तेमाल करते हैं।
पॉल्यूरिया का निदान – Polyuria Ka Nidan
डॉक्टरों के अनुसार पॉल्यूरिया कोई चिकित्सा बीमारी नहीं, बल्कि एक लक्षण है और इस गंभीर लक्षण का कोई निदान नहीं है। लेख में बताए गए पॉल्यूरिया के कारण निदान के बाद पैदा होने वाले लक्षणों की पहचान करने में मदद कर सकते हैं। हर मरीज में इसके कारण का निदान करने के लिए एक अलग दृष्टिकोण की ज़रूरत होती है। हर स्थिति में डॉक्टर पहले यह निर्धारित करने की कोशिश करते हैं कि आपको पॉल्यूरिया के लक्षण पहली बार कब दिखाई दिए और क्या यह समय के साथ अचानक या पहले नज़र आए।
डायबिटीज मेलिटस बनाम डायबिटीज इन्सिपिडस
अगर स्ट्रोक या गंभीर दिमागी नुकसान जैसी एक प्रमुख न्यूरोलॉजिकल घटना के बाद पॉल्यूरिया विकसित होता है, तो यह सेंट्रल डायबिटीज इन्सिपिडस का एक मार्कर हो सकता है। पॉल्यूरिया और पॉलीडिप्सिया को डायबिटीज मेलिटस और डायबिटीज इन्सिपिडस का मुख्य लक्षण माना जाता है। दोनों बीमारियां गंभीर हैं, जिसके लिए अतिरिक्त उपचार या निदान की ज़रूरत हो सकती है। इसके अलावा डॉक्टर मरीज के हीमोग्लोबिन ए1सी की जांच कर सकते हैं। यह एक रक्त परीक्षण है, जो पिछले छह महीनों में आपके औसत रक्त शर्करा स्तर का आंकलन करता है। डॉक्टर यह जांचने के लिए यूरिन ग्लूकोज परीक्षण करते हैं कि शरीर द्वारा पेशाब में शर्करा का उत्सर्जन किया जा रहा है या नहीं। इस जांच की मकसद यह जानना है कि यह डायबिटीज मेलिटस का संकेत है या नहीं।
पॉल्यूरिया का उपचार – Polyuria Ka Upchar
पॉल्यूरिया के लिए सबसे प्रभावी उपचार समस्या के स्रोत को लक्षित करना है। लिथियम-इंड्यूस्ड नेफ्रोजेनिक डायबिटीज इन्सिपिडस लिथियम से होने वाली बीमारी को रोकने का एक बेहतर इलाज है। अगर मरीज के शरीर में रक्त शर्करा का स्तर नियंत्रण में रहता है, तो बार-बार पेशाब आने (पॉल्यूरिया) का कारण बनने वाले डायबिटीज मेलिटस में सुधार की संभावना ज़्यादा होती है। पॉल्यूरिया जैसे गंभीर लक्षण को आसानी से ठीक नहीं किया जा सकता है। यही कारण है कि डॉक्टरों द्वारा डायबिटीज के अलग-अलग प्रकारों का इलाज अक्सर अलग तरह की दवाओं का इस्तेमाल करके किया जाता है। आप उत्पादित पेशाब के पतले रूप से पॉल्यूरिया को अलग कर सकते हैं, जिसमें पेशाब से ज़्यादा पानी होता है। ड्यूरेटिक का एक रूप देना पॉल्यूरिया के सबसे बेहतरीन उपचारों में से एक माना जाता है। इससे आपको किडनी में पेशाब के संसाधित होने के तरीके को सुधारने में काफी मदद मिल सकती है।
मंत्रा केयर – Mantra Care
पॉल्यूरिया को समय के साथ होने वाला गंभीर लक्षण का संकेत माना जाता है। इससे कारण किसी व्यक्ति को किडनी में खराबी की समस्या का सामना भी करना पड़ सकता है। इस लेख के ज़रिए आपको पॉल्यूरिया और डायबिटीज के बीच संबंध, पॉल्यूरिया के लक्षण, कारण और उपचार से संबंधित सभी ज़रूरी जानकारी देने की कोशिश की गई है।
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