Contents
- 1 उच्च रक्त शर्करा स्तर (हाइपरग्लाइसेमिया/हाई ब्लड शुगर लेवल) – Hyperglycemia/High Blood Sugar Level
- 2 हाइपरग्लाइसेमिया के लक्षण – Hyperglycemia Ke Lakshan
- 3 हाइपरग्लाइसेमिया के कारण – Hyperglycemia Ke Karan
- 4 हाइपरग्लाइसेमिया की जटिलताएं – Hyperglycemia Ki Complications
- 5 उपचार – Upchar
- 6 बचाव – Bachav
- 7 डॉक्टर की सलाह कब लें – Doctor Ki Advice Kab Lein
- 8 हीमोग्लोबिन ए1सी टेस्ट – Haemoglobin A1C Test
- 9 मंत्रा केयर – MantraCare
उच्च रक्त शर्करा स्तर (हाइपरग्लाइसेमिया/हाई ब्लड शुगर लेवल) – Hyperglycemia/High Blood Sugar Level
उच्च रक्त शर्करा या हाई ब्लड शुगर (हाइपरग्लेसेमिया) डायबिटीज़ वाले लोगों को प्रभावित करता है। हाइपरग्लेसेमिया ब्लड में शुगर और ग्लूकोज के लेवल को हाई करता है जब आपके शरीर में इंसुलिन ऊर्जा का उत्पादन करने में सक्षम नहीं होता है। इंसुलिन पैनक्रियाज़ (पेट के ठीक पीछे स्थित एक ग्रंथि) में एक हार्मोन है जो ऊर्जा के उत्पादन के लिए उपयोग करने के लिए ग्लूकोज को कोशिकाओं में अवशोषित करता है।
टाइप I डायबिटीज़ तब होती है जब शरीर पूरी तरह से इंसुलिन का उत्पादन नहीं करता है और टाइप II डायबिटीज़ तब होती है जब शरीर इंसुलिन का प्रभावी ढंग से उपयोग करने में सक्षम नहीं होता है। इसलिए ग्लूकोज हमारे शरीर में फ्लो करता है। डायबिटीज़ टाइप-1 और टाइप-2 से पीड़ित लोगों के लिए रेगुलर ब्लड शुगर टेस्ट ज़रूरी है क्योंकि कई बार लोगों को हाई ब्लड शुगर के शुरुआती लक्षण महसूस नहीं होते हैं।
ब्लड शुगर का हाई होना डायबिटीज़ का एक प्रमुख संकेतक है और अगर कोई व्यक्ति शुगर के लेवल को कंट्रोल या मैनेज करने के लिए कोई उपाय नहीं करता है, तो उसे “डायबिटीज़ केटोएसिडोसिस” (डीकेए) नाम की एक जटिलता हो सकती है। अगर किसी व्यक्ति को कीटोएसिडोसिस का उचित उपचार नहीं मिलता है, तो वे डायबिटीज़ कोमा में पड़ सकते हैं जो डायबिटीज़ की एक प्रमुख जटिलता है।
हाइपरग्लाइसेमिया के लक्षण – Hyperglycemia Ke Lakshan
हाई ब्लड प्रेशर या हाइपरग्लेसेमिया के कुछ लक्षण हैं जिनमें शामिल हैं: ज़्यादा प्यास लगना, ज़्यादा पेशाब आना, धुंधली दृष्टि, थकान महसूस होना आदि। अगर आपको इन लक्षणों में से कोई भी लक्षण महसूस होता है, तो ब्लड शुगर लेवल की जांच करना अनिवार्य हो जाता है। हाई ब्लड शुगर को कंट्रोल न करना आंख, गुर्दे, हृदय रोग या तंत्रिका क्षति जैसी पुरानी जटिलताओं को जन्म दे सकता है। अगर उपचार न किया जाए, तो कुछ दिन या सप्ताह बीतने के बाद इसके लक्षण धीरे-धीरे गंभीर रूप से विकसित हो सकते हैं।
हाइपरग्लाइसेमिया के कारण – Hyperglycemia Ke Karan
कुछ स्थितियां हाइपरग्लेसेमिया की वजह बन सकती हैं जो नीचे दी गई हैं, जैसे-
1) उच्च ग्लूकोज भोजन
मनुष्य के ब्लड शुगर का लेवल उस भोजन के सेवन के बाद बढ़ जाता है जिसमें हाई कार्बोहाइड्रेट होता है जिसमें हाई ग्लूकोज होता है।
2) फिटनेस की कमी
अगर कोई शारीरिक गतिविधियों जैसे दौड़ना, टहलना आदि में कम करता है या बिल्कुल भी नहीं करता, तो आपको हाइपरग्लाइसीमिया होने की संभावना है।
3) संक्रमण
अगर कोई किसी संक्रामक रोग की चपेट में आ जाता है या बीमार हो जाता है, तो आपका ब्लड शुगर लेवल नॉर्मल से ज़्यादा हो सकता है।
4) तनाव
इस लाइफस्टाइल से छोटी-छोटी बातों पर ही हमारे दिमाग का स्ट्रेस लेवल हाई हो जाता है। कभी-कभी तनाव हाइपरग्लेसेमिया का कारण भी बन सकता है।
5) दवा की वजह
अगर आप अपने ग्लूकोज के लेवल को कम करने के लिए दवा का सही तरीके से पालन नहीं कर रहे हैं, तो यह हाइपरग्लेसेमिया का एक प्रमुख कारण बन सकता है।
हाइपरग्लाइसेमिया की जटिलताएं – Hyperglycemia Ki Complications
अपने ब्लड शुगर को स्वस्थ श्रेणी में रखने से आप बहुत सारी जटिलताओं से बच सकते हैं। अनुपचारित हाइपरग्लेसेमिया की जटिलताओं का दीर्घकालिक उपयोग नीचे दिया गया है-
- नर्व डेमेज (न्यूरोपैथी)- अगर ब्लड शुगर लगातार अपने चरम पर है, तो यह नसों से संबंधित कई जटिलताएं पैदा कर सकता है जैसे:
- पेरिफेरल न्यूरोपैथी: इसमें यह सुन्नता, कमजोरी या झुनझुनी से पीड़ित पैरों और हाथों को नुकसान पहुंचता है।
- ऑटोनोमिक न्यूरोपैथी: हाई ब्लड शुगर लेवल स्वचालित प्रक्रियाओं जैसे मूत्राशय नियंत्रण, यौन क्रिया और पाचन को प्रभावित करता है।
- दूसरे टाइप की न्यूरोपैथी: ब्लड शुगर के लेवल में लगातार वृद्धि से फेमोरल, थोरेसिक में वृद्धि हो सकती है।
- किडनी डेमेज (डायबिटिक नेफरोपैथी) या गुर्दे की विफलता।
- आंखों की जटिलताएं- रेटिना (डायबिटिक रेटिनोपैथी) की रक्त वाहिकाओं को नुकसान संभावित रूप से अंधापन का कारण बनता है। डायबिटीज़ लगातार आंखों के अंदर ब्लड शुगर को बढ़ाती है जिससे ग्लूकोमा का खतरा चालीस प्रतिशत और मोतियाबिंद का साठ प्रतिशत तक बढ़ जाता है।
- त्वचा की समस्याएं- लंबे समय तक हाइपरग्लेसेमिया वाले लोग बैक्टीरिया और फंगल संक्रमण जैसे बोलिस, जॉक खुजली, एथलीट फोर्ट इत्यादि से ग्रस्त हो सकते हैं। लोग त्वचा की स्थिति पैदा कर सकते हैं जिससे धब्बे और घाव विकसित हो सकते हैं, जिससे दर्द और खुजली हो सकती है।
- हड्डी और जोड़ों की समस्याएं
- दांत और मसूड़ों में संक्रमण
उपचार – Upchar
अगर हाइपरग्लाइसेमिया यानी ब्लड शुगर 126एमजी/डीएल या 7.0एमएमओएल/डीएल से ऊपर है, जब आप खाली पेट हैं या 200 एमजी/डीएल या 11.1 एमएमओएल/डीएल से ऊपर खाने के दो घंटे बाद, तो इस लेवल पर आपके लिए ब्लड शुगर को कंट्रोल करना ज़रूरी है। हाइपरग्लेसेमिया लेवल का टेस्ट यह जानने का एक महत्वपूर्ण तरीका है कि आप किस स्टेज पर हैं।
इसका उपचार व्यक्ति की समस्या और उसकी गंभीरता पर भी निर्भर करता है। ब्लड शुगर के लेवल को कंट्रोल करने के लिए डायबिटीज़ को मैनेज करना जीवन भर चलने वाली मैराथन दौड़ने जैसा है और इसे एक दिन में हासिल नहीं किया जा सकता है। व्यायाम और शारीरिक गतिविधियां शरीर में रक्त शर्करा के स्तर को कम कर सकती है। लेकिन अगर गंभीर हाइपरग्लेसेमिया वाले व्यक्ति को पेशाब में कीटोन्स मिलते हैं, तो उन्हें व्यायाम करने से बचना चाहिए।
भोजन के समय कम कार्बोहाइड्रेट खाना और कम नाश्ता करना और ऐसे भोजन पर भी ध्यान देना जो कम चीनी वाला हो। ग्लूकोज के लेवल पर नज़र रखने से शरीर संभल सकता है। डॉक्टर दवा के बारे में बताएंगे और देखेंगे कि यह आपके लिए काम कर रही है या नहीं। वह दवा का समय भी बदल सकते हैं जो दवा और इंसुलिन आप लेते हैं। डॉक्टर आपकी परेशानी को खुद मॉनिटर करके रिज़ल्ट देखेंगे, समस्या की पहचान करेंगे और व्यक्तियों को हाई ब्लड शुगर के लेवल की वृद्धि को रोकने का सही उपाय खोजने में मदद करेंगे।
बचाव – Bachav
सही डायबिटीज़ मैनेजमेंट और ब्लड मॉनिटरिंग हाइपरग्लाइसेमिया और ब्लड शुगर के लेवल को रोकने का एकमात्र प्रभावी तरीका है।
नियमित रूप से जांच कराएं- दैनिक आधार पर ब्लड शुगर टेस्ट को रिकॉर्ड करें और इसे एक डायरी में नोट करें, ताकि आपके डॉक्टर आपकी समस्या को हर अपॉइंटमेंट पर ट्रैक कर सकें।
कार्ब्स को मैनेज करें- आहार में हमेशा कार्बोहाइड्रेट का ध्यान रखें और भोजन, स्नैक्स की मात्रा और समय के बारे में लगातार देखते रहें। दवा हमेशा सयम पर लें।
फिटनेस बैंड पहनें- मेडिकल ब्रेसलेट या नेकलेस आपातकालीन उत्तरदाताओं को डायबिटीज़ के प्रति सचेत कर सकते हैं।
डॉक्टर की सलाह कब लें – Doctor Ki Advice Kab Lein
आपातकालीन चिकित्सा सहायता:
अगर आप लंबे समय से बीमार हैं और खाना-पीना भी कम हो गया हो। अगर ब्लड शुगर लेवल लगातार 240 मिलीग्राम/डीएल से ऊपर है और अगर पेशाब में कीटोन्स की मौजूदगी है।
डॉक्टर के साथ अपॉइंटमेंट:
अगर आपको उल्टी या डायरिया की समस्या हो रही हो और बुखार 24 घंटे से ज़्यादा समय तक शरीर में रहता है। डायबिटीज़ की दवा लेने के बाद भी शरीर का ब्लड ग्लूकोज 240एमजी/डीएल से ज़्यादा है। अगर आप शरीर में ग्लूकोज के लेवल को बनाए रखने के लिए समस्याओं का सामना कर रहे हैं।
हीमोग्लोबिन ए1सी टेस्ट – Haemoglobin A1C Test
अपॉइंटमेंट के दौरान डॉक्टर आपको हीमोग्लोबिन ए1सी टेस्ट कराने के लिए कहेंगे। इस टेस्ट में पिछले दो से तीन महीनों के औसत ब्लड शुगर लेवल की जांच की जाती है। यह लाल रक्त कोशिकाओं (हीमोग्लोबिन) में मौजूद ऑक्सीजन ले जाने वाले प्रोटीन में ब्लड शुगर से जुड़े ब्लड शुगर के प्रतिशत को मापने का काम करता है।
सात प्रतिशत के ए1सी लेवल का मतलब है कि ट्रीटमेंट प्लान अच्छी तरह से काम कर रहा है और टारगेट ज़ोन में है। अगर प्रतिशत सात प्रतिशत से ज़्यादा हो जाता है, तो ब्लड शुगर का लेवल नॉर्मल रेंज से ऊपर होगा और इस मामले में डॉक्टर आप ट्रीटमेंट प्लान में बदलाव करेंगे।
मंत्रा केयर – MantraCare
यदि आप मधुमेह से संबंधित समस्याओं का सामना कर रहे हैं, तो मंत्रा केयर मदद के लिए उपलब्ध है। किसी मधुमेह विशेषज्ञ से जुड़ने के लिए अपना निःशुल्क ऑनलाइन मधुमेह परामर्श सत्र अभी बुक करें।
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