Contents
- 1 ज़्यादा प्यास लगना (पॉलीडिप्सिया) और डायबिटीज – Polydipsia Aur Diabetes
- 2 पॉलीडिप्सिया के लक्षण – Polydipsia Ke Lakshan
- 3 पॉलीडिप्सिया के कारण – Polydipsia Ke Karan
- 4 पॉलीडिप्सिया के प्रकार – Polydipsia Ke Prakar
- 5 पॉलीडिप्सिया के लिए सावधानी – Polydipsia Ke Liye Savdhani
- 6 पॉलीडिप्सिया का उपचार – Polydipsia Ka Upchar
- 7 निष्कर्ष – Nishkarsh
ज़्यादा प्यास लगना (पॉलीडिप्सिया) और डायबिटीज – Polydipsia Aur Diabetes
ज़्यादा प्यास लगना सामान्य है, लेकिन डायबिटीज के कारण होने वाली यह बीमारी गंभीर है, जिसे पॉलीडिप्सिया कहा जाता है। पॉलीडिप्सिया एक चिकित्सा शब्द है, जिसे डायबिटीज वाले व्यक्ति द्वारा पानी पीने के बावजूद नहीं बुझने वाली प्यास के लिए इस्तेमाल किया जाता है। ज़्यादा प्यास लगना डायबिटीज और दिल की बीमारी जैसी स्वास्थ्य स्थितियों का मुख्य लक्षण हो सकते हैं। इस स्थिति में व्यक्ति अक्सर नमकीन खाद्य पदार्थ खाने, तेज़ व्यायाम करने या धूप में समय बिताने के बाद प्यासे हो जाते हैं। ऐसे में वह पानी पीकर अपनी प्यास बुझाते हैं, लेकिन कभी-कभी तेज प्यास बुझाने के लिए उन्हें ज़्यादा पानी पीना पड़ता है और यह पॉलीडिप्सिया का सबसे सामान्य संकेत हो सकता है।
डायबिटीज मेलिटस में ज़्यादा प्यास लगना कई बीमारियों का कारण बन सकता है। यह शरीर द्वारा ग्लूकोज यानी रक्त शर्करा के संसाधन और इस्तेमाल में कठिनाई से होती हैं। इस स्थिति में आपका शरीर रक्त शर्करा को बेहतर तरीके से अवशोषित नहीं कर पाता है। किसी व्यक्ति में रक्त शर्करा का बढ़ा हुआ स्तर उच्च रक्त शर्करा स्तर यानी हाइपरग्लाइसीमिया के नाम से जाना जाता है। इससे आपको तेज प्यास लगने का अहसास हो सकता है। अगर आपके शरीर में रक्त शर्करा स्तर सामान्य होने के बाद भी डॉक्टर निम्नलिखित लक्षण देखते हैं, तो वह आपके लिए परीक्षण की सलाह दे सकते हैं।
- वैसोप्रेसिन की कम मात्रा
- रक्त में नमक और पोटेशियम का स्तर
- तरल पदार्थ की कमी
बताए गए लक्षण अनुभव करने वाले लोगों को तुरंत डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए। हालांकि, कुछ मामलों में व्यक्ति द्वारा ली जा रही डायबिटीज की दवाएं भी ज़्यादा प्यास लगने (पॉलीडिप्सिया) और बार-बार पेशाब आने (पॉल्यूरिया) का कारण बन सकती हैं। ऐसे में डॉक्टर द्वारा बताई दवाओं और जीवन शैली से संबंधित सावधानियों का पालन करना आपके लिए बेहद ज़रूरी है।
पॉलीडिप्सिया के लक्षण – Polydipsia Ke Lakshan
गंभीर प्यास की भावना पॉलीडिप्सिया का सबसे ज़्यादा ध्यान देने वाला संकेत है। खासतौर से यह लक्षण तब देखा जाता है, जब आप बहुत ज़्यादा पानी पीने के बाद भी प्यास का अनुभव कर रहे हों। पॉलीडिप्सिया भी निम्नलिखित लक्षण पैदा कर सकता है:
- असामान्य रूप से बार-बार पेशाब करना (दिन में 5 लीटर से ज़्यादा)
- मुंह सूखने का अहसास
अगर पॉलीडिप्सिया डायबिटीज जैसी किसी बीमारी का कारण बनता है, तो आप कई अन्य लक्षणों को महसूस कर सकते हैं। हालांकि, पॉलीडिप्सिया अलग-अलग प्रकार के डायबिटीज मेलिटस लक्षणों के साथ होता है, जिनमें निम्न शामिल हैं:
- असामान्य रूप से भूखा रहना
- धुंधली दृष्टि
- थकावट महसूस होना
- अचानक वजन घटना
- बहुत सारे घाव या बीमारियां होना
- देर से ठीक होने वाले घाव या इंफेक्शन
पॉलीडिप्सिया का एक अन्य लक्षण पानी का नशा है, जिसे अक्सर वाटर पॉइज़निंग के नाम से जाना जाता है। यह तब हो सकता है जब आप बहुत ज़्यादा पानी पीते हैं। इससे आपके रक्त में नमक की मात्रा कम हो सकती है, जो हाइपोनेट्रेमिया का कारण बन सकता है। वाटर पॉइज़निंग खतरनाक रूप से आपके रक्त में सोडियम का स्तर कम करती है। इसका परिणाम नीचे दिए लक्षण हो सकते हैं:
- सिर दर्द
- चक्कर आना
- भ्रम होना
पॉलीडिप्सिया के कारण – Polydipsia Ke Karan
पॉलीडिप्सिया (ज़्यादा प्यास लगना) उच्च रक्त शर्करा स्तर का एक सामान्य लक्षण है, जो टाइप 1 डायबिटीज का शुरुआती संकेत हो सकता है। कई बार यह चेतावनी हो सकती है कि डायबिटीज के मरीज को अपनी बीमारी को नियंत्रित करने में परेशानी हो रही है। कई बीमारियों की वजह से किसी व्यक्ति को सामान्य से ज़्यादा प्यास लग सकती है, जैसे:
- डायबिटीज
- डायबिटीज कीटोएसिडोसिस (डीकेए)
- मूत्रमेह (डायबिटीज इन्सिपिडस)
- पानी की कमी
- पसीना, दस्त, या उल्टी आना
- गलत कुछ दवाएं लेना
- मुंह सूखना
डायबिटीज मेलिटस
इंसुलिन की मदद से ग्लूकोज आपके शरीर की कोशिकाओं में प्रवेश करता है, जहां इसे ऊर्जा के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है। डायबिटीज मेलिटस से पीड़ित लोगों का शरीर इन्सुलिन बनाने में असमर्थ होता हैं। कई बार शरीर इंसुलिन का सही तरीके से इस्तेमाल नहीं कर पाता है, जिससे कोशिकाओं में जाने के बजाय ग्लूकोज रक्त में जमा होता रहता है और शारीरिक काम में रुकावट पैदा करता है। रक्त से फालतू शर्करा को छानने के लिए गुर्दे को ज़्यादा मेहनत करनी पड़ती है। जब शरीर पेशाब में शर्करा का उत्सर्जन करता है, तो यह नमी भी उत्सर्जित करता है। ऐसा इसलिए है, क्योंकि तरल पदार्थ की कमी से व्यक्ति को ज़्यादा प्यास लगती है और इससे बार-बार पेशाब की समस्या होती है। उच्च रक्त शर्करा का स्तर कई तरह के लक्षण पैदा कर सकता है, जिनमें शामिल हैं:
- अचानक वजन घटना या बढ़ना
- ऊर्जा की कमी
- थकान
- धुंधली दृष्टि
- बढ़ी हुई भूख
- बार-बार पेशाब आना
इनकी लक्षणों की मदद से मरीज जान सकते हैं कि वह इंफेक्शन के प्रति ज़्यादा संवेदनशील हैं और इन्हें ठीक होने में ज़्यादा समय लग सकता है। इसके अलावा, यह उच्च रक्तचाप और दिल की बीमारियों का जोखिम बढ़ाता है और यह बीमारियां समय के साथ विकसित हो सकती हैं।
डायबिटिक कीटोएसिडोसिस (डीकेए)
डायबिटीज से पीड़ित किसी व्यक्ति के शरीर में ग्लूकोज कोशिकाओं तक नहीं पहुंच पाता है। इस स्थिति में उनका शरीर ऊर्जा के लिए वसा को तोड़ना शुरू कर सकता है। यह कीटोन्स पैदा करता है, जो इस क्रिया का एक खतरनाक नतीजो होता है। शरीर में कीटोन जमा होने से रक्त बहुत ज़्यादा अम्लीय हो सकता है। आमतौर पर इस स्थिति की डायबिटिक कीटोएसिडोसिस या डीकेए कहा जाता है, जो पीएच में बदलाव से होने वाली घातक बीमारी हो सकती है।
ज़्यादा प्यास लगना और बार-बार पेशाब करने की इच्छा डीकेए के शुरुआती लक्षण हैं। इन लक्षणों का अनुभव होने पर आपको अपने रक्त शर्करा स्तर की जांच करनी चाहिए। अगर यह स्तर 240 मिलीग्राम प्रति डेसीलीटर (एमजी/डीएल) या उससे ज़्यादा है, तो आपको कुछ समय के लिए पेशाब में कीटोन की जांच करनी चाहिए। कीटोएसिडोसिस के बाद होने वाले लक्षणों में शामिल हैं:
- बेहोशी
- मतली और उल्टी
- पेट में दर्द
- सांस लेने में कठिनाई
- थकान
- सूखी या लाल त्वचा
- भ्रम की स्थिति
- ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई
- कोमा
इन लक्षणों वाले किसी भी व्यक्ति को तुरंत चिकित्सा सहायता लेनी चाहिए, क्योंकि तेजी से बढ़ने वाली बीमारी गंभीर रूप ले सकती है। कीटोन और रक्त शर्करा के स्तर की जांच के लिए आप ऑनलाइन किट भी खरीद सकते हैं।
मूत्रमेह (डायबिटीज इन्सिपिडस)
डायबिटीज का यह प्रकार यानी मूत्रमेह (डायबिटीज इन्सिपिडस) बहुत दुर्लभ है, जो हर 25,000 लोगों में से सिर्फ एक को प्रभावित करता है। यह डायबिटीज मेलिटस से बिल्कुल अलग है, जिसमें आपको इंसुलिन प्रतिरोध की समस्या भी नहीं होती है। डायबिटीज इन्सिपिडस के कई प्रकार मौजूद हैं, जो अलग-अलग कारणों से हो सकते हैं। हालांकि, इनमें वैसोप्रेसिन ऐसी वजह है, जिसमें एक एंटीडाययूरेटिक हार्मोन शामिल है। यह हार्मोन गुर्दे के ज़रिए तरल पदार्थ को खत्म करने में मदद करता है।
डायबिटीज इन्सिपिडस से भी व्यक्ति को ज़्यादा बार पेशाब आने की समस्या होती है। शोध के अनुसार, इस बीमारी वाले लोग हर दिन 3 से 20 क्वॉर्ट्स यानी 3.4 से 22.7 लीटर पेशाब कर सकते हैं। विशेषज्ञों की मानें, तो पॉलीडिप्सिया का अन्य कारण डायबिटीज इन्सिपिडस हो सकता हैं। इससे पीड़ित व्यक्ति के शरीर मे पानी की गंभीर कमी हो सकती है। डिहाइड्रेशन की दुर्लभ घटना से संबंधित कुछ लक्षणों में शामिल हैं:
- ज़्यादा प्यास
- थकान का अनुभव
- मतली आवना
- रूखी त्वचा
- सूखी आंखें
अगर किसी व्यक्ति को डिहाइड्रेशन के लक्षणों का अनुभव होता है, तो उन्हें तुरंत चिकित्सा सहायता लेने की सलाह दी जाती है। ऐसे लोगों में नीचे दिए लक्षण दिखाई दे सकते हैं:
- चक्कर आना
- भ्रम की स्थिति
- सुस्ती
मानसिक स्वास्थ्य की स्थिति
कुछ लोगों को प्यास नहीं होने पर भी पानी पीने की अतृप्त इच्छा होती है। आमतौर पर इस स्थिति के लिए साइकोजेनिक पॉलीडिप्सिया नाम के चिकित्सा शब्द का इस्तेमाल किया जाता है। किसी व्यक्ति को यह बीमारी कई कारणों से हो सकती है, जिनमें शामिल हैं:
- सिज़ोफ्रेनिया और अन्य व्यक्तित्व विकार सबसे आम मानसिक बीमारियों में से हैं।
- अवसाद और चिंता मूड विकारों के उदाहरण हैं।
- एनोरेक्सिया
शोधकर्ताओं ने मानसिक स्वास्थ्य से संबंधित आउट पेशेंट क्लिनिक में जाने वाले लोगों में ज़्यादा प्यास तरल खपत की समस्या देखी। इनमें से लगभग 15.7 प्रतिशत लोगों ने प्राथमिक पॉलीडिप्सिया का अनुभव किया, जो पॉलीडिप्सिया यानी ज़्यादा प्यास का कारण भी है। इस श्रेणी के 13 मरीज सिज़ोफ्रेनिया से पीड़ित थे, जबकि एक को दोतरफा बीमारी (बायपोलर डिजीज) थी। शोधकर्ता अनुमान लगाते हैं कि दो विकारों के बीच एक न्यूरोबायोलॉजिकल लिंक हो सकता है।
इससे पता चलता है कि दर्दनाक दिमागी चोट के कारण भी पॉलीडिप्सिया की समस्या हो सकती है। जब कोई व्यक्ति मनोवैज्ञानिक कारणों से ज़्यादा शराब पीता है, तो पानी का नशा (वाटर इंटॉक्सिकेशन) का संभावित खतरा होता है। यह किसी भी व्यक्ति के लिए बहुत खतरनाक स्थिति हो सकती है। कई शोधकर्ता पॉलीडिप्सिया की स्थिति से संबंधित कारणों का पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं। जबकि, पॉलीडिप्सिया के कारणों को जानने के लिए अन्य शोध अभी भी जारी हैं।
पॉलीडिप्सिया के प्रकार – Polydipsia Ke Prakar
पॉलीडिप्सिया कई प्रकार के होते हैं और हर प्रकार के कारणों का अपना सेट होता है। कुछ कारक प्रकृति में भौतिक हैं, जबकि अन्य मनोवैज्ञानिक या मानसिक समस्याओं से संबंधित हैं। पॉलीडिप्सिया के अलग-अलग प्रकारों में शामिल हैं:
- साइकोजेनिक (प्राथमिक) पॉलीडिप्सिया: इस प्रकार के पॉलीडिप्सिया (ज़्यादा प्यास लगना) का कारण मनोवैज्ञानिक उत्तेजना का अभाव होता है, जिससे आप ज़्यादा तरल पदार्थ का सेवन करते हैं। आमतौर पर यह चिंता, उदासी, तनाव या मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं जैसी समस्याओं की वदह बनता है।
- दवाओं से प्रेरित पॉलीडिप्सिया: पॉलीडिप्सिया का यह प्रकार नमक और दवाओं के सेवन से होता है। इसमें ड्यूरेटिक्स, विटामिन के और कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स जैसी दवाएं शामिल हैं।
- प्रतिपूरक पॉलीडिप्सिया: इस प्रकार के पॉलीडिप्सिया से आपके शरीर में एंटीडाययूरेटिक हार्मोन का स्तर घटता है, जिससे बहुत ज़्यादा पेशाब आने की समस्या हो सकती है।
पॉलीडिप्सिया के लिए सावधानी – Polydipsia Ke Liye Savdhani
बिना वजह ज़्यादा प्यास लगने वाले लोगों को तुरंत चिकित्सक से परामर्श करना चाहिए, क्योंकि कई बार यह डायबिटीज का संकेत हो सकता है। इस स्थिति में डॉक्टर मरीज से यह मापने के लिए कह सकते हैं कि वह कितने तरल पदार्थ का सेवन करते हैं और दिन में कितनी बार पेशाब के लिए जाते हैं। हालांकि, इसके लिए आप निम्नलिखित उपाय या सावधानियां भी बरत सकते हैं:
- दिन की शुरुआत पानी को मापने वाले कंटेनर से करें। इससे आप यह गणना कर सकते हैं कि आपको कितना तरल पदार्थ पीना चाहिए।
- आप पूरे दिन इस कंटेनर को भरकर पानी पी सकते हैं, जिससे पानी की कमी को दूर किया जा सकता है।
- रिकॉर्ड करें, कि आप 24 घंटों में कितना तरल पदार्थ पीते हैं।
- फलों का रस और कॉफी जैसे पेय का रिकॉर्ड बनाए रखते हुए आपको किसी अन्य तरल पदार्थ का भी हिसाब रखना चाहिए।
- अगर आपके लिए टाइप 1 या टाइप 2 डायबिटीज का निदान किया गया है, तो पहले आपके रक्त शर्करा के स्तर की जांच की जानी चाहिए।
- ज़रूरत पड़ने पर आप व्यायाम या इंसुलिन से अपने ग्लूकोज स्तर को थोड़ा कम कर सकते हैं।
अगर प्यास बनी रहती है या बिगड़ जाती है, तो आपको डॉक्टर के पास जाना चाहिए। कई बार यह आपके लिए डीकेए या किसी अन्य उपचार योजना की ज़रूरत का संकेट भी हो सकता है। हालांकि, अगर आप अपनी प्यास, पानी की मात्रा और शरीर में रक्त शर्करा के स्तर पर नज़र रखते हैं, इससे डॉक्टर को आपकी समस्या का पता लगाने और बेहतर तरीके से उपचार करने में मदद मिल सकती है। रक्त शर्करा के स्तर का आकंलन या लक्षणों का कारण निर्धारित करने के लिए डॉक्टर आपको रक्त और पेशाब की जांच कराने की सलाह दे सकते हैं।
पॉलीडिप्सिया का उपचार – Polydipsia Ka Upchar
पॉलीडिप्सिया के निम्नलिखित कारणों के अनुसार उपचार किया जाएगा:
डायबिटीज मेलिटस
इसमें डॉक्टर द्वारा किए जाने वाले उपचार का सबसे पहला उद्देश्य रक्त शर्करा का स्तर पूर्व निर्धारित सीमा के अंदर रखना होता है। टाइप 1 डायबिटीज वाले लोगों के लिए इंसुलिन की ज़रूरत होती है। जबकि, टाइप 2 डायबिटीज से पीड़ित ज़्यादातर लोग आहार और व्यायाम जैसे जीवनशैली में बदलाव के ज़रिए अपने रक्त शर्करा स्तर को प्रबंधित करने की कोशिश करते हैं। इसके अलावा डॉक्टर मरीजों के लिए इंसुलिन, मेटफोर्मिन या कोई अन्य दवा निर्धारित कर सकते हैं। इन दवाओं के इस्तेमाल से मरीज को रक्त शर्करा का स्तर नियंत्रित करके पॉलीडिप्सिया के लक्षणों से राहत पाने में मदद मिल सकती है।
डायबिटिक कीटोएसिडोसिस
शरीर में पानी की कमी दूर करने और इलेक्ट्रोलाइट्स को दोबारा भरने के लिए आपको अस्पताल में उपचार की ज़रूरत हो सकती है। इसके लिए डॉक्टर नसों में लगाए जाने वाले इंसुलिन और पुनर्जलीकरण तरल पदार्थ को पॉलीडिप्सिया का उपचार करने के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं।
मूत्रमेह (डायबिटीज इन्सिपिडस)
डिहाइड्रेशन से बचने के लिए डॉक्टर मरीज को खूब पानी पीने की सलाह देते हैं। इसके अलावा डॉक्टर डेस्मोप्रेसिन या वैसोप्रेसिन जैसी सिंथेटिक दवाएं भी लिख सकते हैं।
मानसिक स्वास्थ्य की स्थिति
व्यक्ति डॉक्टर से परामर्श के ज़रिए भी यह जान सकते हैं कि वह कितनी मात्रा में तरल पदार्थ का सेवन कर रहे हैं। ज़रूरत पड़ने पर वह पानी की मात्रा को कम या ज़्यादा भी कर सकते हैं। शारीरिक कारण के लिए डॉक्टर व्यक्ति की दवा में बदलाव या कोई अन्य कार्रवाई भी कर सकते हैं।
निष्कर्ष – Nishkarsh
लेख में आपको पॉलीडिप्सिया के लक्षण, कारण, प्रकार और उपचार संबंधित सभी ज़रूरी जानकारी प्रदान की गई है। साथ ही आप यह जान सकते हैं कि सिज़ोफ्रेनिया वाले लोगों में प्राथमिक पॉलीडिप्सिया अक्सर कैसे होता है और किस तरह यह अन्य मानसिक बीमारियां पैदा करता है। आपको बता दें कि यह समस्या हाइपोनेट्रेमिया, रैपिड सेरेब्रल एडिमा और कोमा के साथ-साथ किसी व्यक्ति की मौत का कारण भी बन सकती है। हालांकि, यह मनोविकृति की अचानक शुरुआत या दौरे की एक अस्पष्ट शुरुआत के तौर पर दिखाई देती है।
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