सुबह के समय उच्च रक्त शर्करा (डॉन फेनोमेनन): लक्षण और कारण – Dawn Phenomenon: Lakshan Aur Karan

Dawn phenomenon

सुबह के समय उच्च रक्त शर्करा (डॉन फेनोमेनन) – Dawn Phenomenon

सुबह के समय उच्च रक्त शर्करा स्तर यानी डॉन फेनोमेनन को भोर की घटना या डॉन इफेक्ट भी कहते हैं, जो डायबिटीज के मरीजों पर पर एक प्रभाव है। इस स्थिति में डायबिटीज के मरीजों का शरीर दिन भर कई तरह के हार्मोनल बदलावों से गुजरता है। शरीर कुछ ऐसे हार्मोन रिलीज करता है, जो रक्त शर्करा को बढ़ाते हैं और इंसुलिन की कमी के कारण शरीर में रक्त शर्करा का स्तर नियंत्रित नहीं किया जा सकता है। इसमें रक्त शर्करा का स्तर प्राकृतिक तरीके से बढ़ सकता है और यह प्रक्रिया सुबह के शुरुआती घंटों में होती है।

डॉक्टरों की मानें, तो रक्त शर्करा के स्तर में बदलाव शरीर के अंदर हो रहे हार्मोनल बदलावों का नतीजा होता है। हर व्यक्ति कुछ हद तक सुबह के समय उच्च रक्त शर्करा स्तर को महसूस करता है, लेकिन ज़्यादातर लोग इसे नोटिस नहीं करते हैं। ऐसा इसलिए है, क्योंकि उनकी इंसुलिन प्रतिक्रिया में प्राकृतिक तरीके से उतार-चढ़ाव होता रहता है। हालांकि, डायबिटीज वाले व्यक्ति में रक्त शर्करा का स्तर ज़्यादा बढ़ने और इससे होने वाले लक्षणों के महसूस होने की संभावना ज़्यादा होती है।

सुबह के समय उच्च रक्त शर्करा

 

डॉन फेनोमेनन के लक्षण – Dawn Phenomenon Ke Lakshan

सुबह के समय उच्च रक्त शर्करा स्तर (डॉन फेनोमेनन) लीवर द्वारा जारी रक्त शर्करा में बढ़ोतरी है। यह डिस्चार्ज इसलिए होता है, क्योंकि व्यक्ति का शरीर अगले दिन के लिए ऊर्जा की तैयारी कर रहा होता है। आमतौर पर किसी सामान्य व्यक्ति का शरीर रक्त शर्करा में इस उछाल से निपटने के लिए इंसुलिन का इस्तेमाल करता है। जबकि, डायबिटीज से पीड़ित व्यक्ति का शरीर पर्याप्त इंसुलिन का उत्पादन करने में असमर्थ होता है या इंसुलिन का ठीक से इस्तेमाल नहीं कर पाता है। यही कारण है कि किसी व्यक्ति को रक्त में उच्च शर्करा स्तर के नतीजों का अनुभव होता है।

इन प्रभावों में शामिल हो सकते हैं:

सुबह के समय उच्च रक्त शर्करा

डॉन फेनोमेनन के कारण – Dawn Phenomenon Ke Karan

डॉन फेनोमेनन यानी लगभग 4 से 8 बजे के बीच आपका रक्त शर्करा स्तर उच्च रहता है, जिसके सटीक कारणों अभी अज्ञात हैं। हालांकि, डॉक्टरों का कहना है कि एड्रेनालाईन, कोर्टिसोल, ग्लूकागन और सोमाटोट्रोपिन सहित हार्मोन इसमें एक प्रमुख भूमिका निभाते हैं। इसमें हार्मोन जैविक समय या रुटीन फॉलो करते हैं। यह सुबह के दौरान रक्त के अंदर उच्च सांद्रता वाली प्रवृत्ति होती है, ताकि हमें आने वाले दिन के लिए तैयार किया जा सके। रक्त में ग्लूकोज के रिलीज होने को नियंत्रित करने वाले हार्मोन भी शामिल हैं, जिनके बारे में नीचे बताया गया है:

  • एड्रेनालाईन: फ्लाईट या फाइट के नाम से जाना जाने वाला एड्रेनालाईन मांसपेशियों में रक्त के प्रवाह को बढ़ाता है। साथ ही यह रक्त में ग्लूकोज के रिलीज होने को भी बढ़ावा देता है।

  • कोर्टिसोल: इसे स्ट्रेस हार्मोन ङी कहा जाता है, जो रक्त शर्करा को बढ़ाने में एक अहम भूमिका निभाता है।

  • ग्रोथ हार्मोन: यह मरम्मत और पुनर्जनन के लिए ज़रूरी है। इसके अलावा इसका अन्य काम रक्त में ग्लूकोज के रिलीज होने को बढ़ावा देना है।

  • ग्लूकागन: यह लीवर को रक्त में शर्करा यानी ग्लूकोज छोड़ने के बारे में बताता है।

रातभर लीवर के अंदर होने वाली दो प्रमुख प्रक्रियाएं रक्तप्रवाह में ग्लूकोज के रिलीज होने पर खत्म होती है। यही प्रक्रिया सुबह के समय रक्त शर्करा के स्तर को बढ़ाने में प्रमुख योगदान करती हैं:

  1. ग्लाइकोजेनोलिसिस- ग्लूकोज का जमा होना, ग्लाइकोजन का टूटना और रिलीज होना।
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  2. ग्लूकोनोजेनेसिस- प्रोटीन के घटकों यानी कुछ अमीनो एसिड और वसा यानी ग्लिसरॉल से ग्लूकोज का बनना।

इंसुलिन एक अन्य हार्मोन है, जिसकी इस प्रक्रिया में ज़रूरी भूमिका है। व्यक्ति के शरीर में रक्त शर्करा का स्तर बढ़ने पर इंसुलिन रिलीज होता है। यह आपके शरीर में ऊर्जा के इस्तेमाल या इकट्ठा करने के लिए ग्लूकोज को रक्त से कोशिकाओं तक ले जाने में मदद करता है।

डायबिटीज पर डॉन फेनोमेनन का प्रभाव

कई बार शारीरिक प्रक्रियाएं सुबह के समय उच्च रक्त शर्करा या भोर की घटना के बारे में बताती हैं। यह चिकित्सा स्थिति आमतौर पर सभी लोगों में होती हैं, लेकिन ज़्यादातर यह डायबिटीज वाले लोगों में देखने को मिलती है। इंसुलिन और हमारे शरीर के इस पर प्रतिक्रिया करने के तरीके में अंतर है। स्वस्थ व्यक्ति का शरीर उचित मात्रा में इंसुलिन रिलीज करता है। साथ ही सुबह के समय रक्त शर्करा के बढ़े हुए स्तर को नियंत्रित करने के लिए पर्याप्त इंसुलिन के प्रति संवेदनशील होते हैं।

अगर प्रीडायबिटीज या टाइप 2 डायबिटीज से पीड़ित व्यक्तियों की बात करें, तो उनका शरीर इंसुलिन प्रतिरोध की समस्या से गुज़रता है। इस स्थिति में उनका शरीर पर्याप्त इंसुलिन का स्राव नहीं करता है और यही कारण आगे चलकर रक्त शर्करा स्तर बढ़ने का मुख्य कारण बनता है। आमतौर पर यह सुबह के शुरुआती घंटों में पहले से ज़्यादा जटिल हो सकता है, क्योंकि हमारा शरीर बाकी दिन की तुलना में ज़्यादा इंसुलिन प्रतिरोध करता है। प्रीडायबिटीज और टाइप 2 डायबिटीज के बढ़ने से सुबह के समय रक्त शर्करा का स्तर बढ़ने की संभावना भी बढ़ जाती है।

टाइप 1 और टाइप 2 डायबिटीज मरीजों में डॉन फेनोमेनन

तेजी में अंतर उस व्यक्ति पर ज़्यादा निर्भर करता है, जो इससे निपटता है। विशेषज्ञों की मानें, तो इसका डायबिटीज के प्रकार या उसकी उपचार योजना से कोई संबंध नहीं है। टाइप 1 या टाइप 2 डायबिटीज वाले कुछ व्यक्ति अक्सर इंसुलिन का इस्तेमाल करते हैं। ऐसे लोगों को रातोंरात किसी भी बदलाव के लिए इंसुलिन की खुराक को रेगुलेट करना पड़ सकता है। हालांकि, इंसुलिन पंप का इस्तेमाल करने वाला एक व्यक्ति सुबह के समय अतिरिक्त इंसुलिन देने के लिए पंप को एडजस्ट कर सकता है।

डॉन फेनोमेनन की जटिलताएं – Dawn Phenomenon Ki Jatiltayein

नियमित तौर पर सुबह के समय रक्त शर्करा का उच्च स्तर महसूस करने वाले लोगों को अपने डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए। अगर इसके कारण रक्त शर्करा का स्तर बहुत ज़्यादा बढ़ जाता है, तो हर व्यक्ति में अलग नतीजे हो सकते हैं। यह नतीजे हल्के से लेकर गंभीर चिकित्सा आपात स्थिति तक हो सकते हैं। इसके अलावा बहुत ज़्यादा रक्त शर्करा स्तर वाले व्यक्ति डायबिटिक केटोएसिडोसिस (डीकेए) भी विकसित कर सकते हैं। यह रक्त प्रवाह के अंगर एसिड का एक खतरनाक निर्माण है, जिससे लोगों को बेहोशी और कोमा का अहसास हो सकता है। गंभीर लक्षण दिखाई देने पर आपको कॉल करके आपातकालीन सेवाओं की मदद लेनी चाहिए।

उच्च रक्त शर्करा की कुछ लंबे समय तक रहने वाली जटिलताएं इस प्रकार हैं।    

  • इससे दिल से जुड़ी समस्याएं, दिल का दौरा या स्ट्रोक का खतरा रहता है।
  • यह नसों में नुकसान या खराबी का कारण बन सकता है
  • यह किसी व्यक्ति में दृष्टि हानि की बड़ी वजह बनता है।
  • कई बार इसके कारण अंगों में खराबी भी हो सकती है। 

एनआईडीडीके द्वारा सलाह दी जाती है कि रक्त शर्करा का स्तर ज़्यादा होने पर आपको 2 हफ्ते में 3 बार डॉक्टर को बुलाना चाहिए। अगर किसी व्यक्ति में सुबह के समय और खासतौर से 2 से 8 बजे के बीच रक्त शर्करा का स्तर बढ़ा हुआ है, तो इसका कारण डॉन फेनोमेनन को माना जा सकता है। इस स्थिति में आप डॉक्टर से अपने इंसुलिन या अन्य दवाओं की मात्रा में ज़रूरी बदलावों के बारे में भी पूछ सकते हैं।

सोमोगी प्रभाव – Somogyi Effect

सोमोगी प्रभाव

सोमोगी प्रभाव सुबह के समय उच्च रक्त शर्करा के लिए एक अन्य संभावित स्पष्टीकरण है। हालांकि, सभी वैज्ञानिक इस बात से सहमत नहीं हैं कि यह प्रभाव गंभीर होते हैं। जबकि, कुछ वैज्ञानिकों की मानें, तो यह प्रभाव रक्त शर्करा का स्तर गिरने से होता है। उदाहरण के लिए, अक्सर लोग रक्त शर्करा के स्तर को कम करने के लिए इंसुलिन या दवा लेते हैं। कई लोग रोज़ाना सोते समय नाश्ता नहीं करते हैं और इंसुलिन की ज़्यादा मात्रा लेते हैं। यह रात के दौरान उनके रक्त शर्करा का स्तर गिरने का मुख्य कारण होता है। ऐसे लोगों उन का शरीर उस दौरान ग्रोथ हार्मोन रिलीज करके प्रतिक्रिया करता है। इस प्रतिक्रिया से शर्करा का स्तर ट्रिगर होता है, जिससे आपके शरीर में रक्त शर्करा का स्तर सुबह सामान्य से ऊपर हो सकता है। कम शब्दों में कहें, तो सोमोगी प्रभाव आमतौर पर खराब डायबिटीज प्रबंधन का संकेत है।

डॉन फेनोमेनन और सोमोगी प्रभाव में अंतर – Dawn Phenomenon Aur  Somogyi Effect Mein Antar

डॉन फेनोमेनन और सोमोगी इफेक्ट के बीच मुख्य अंतर यह है कि सोमोगी में सोते समय व्यक्ति का निम्न रक्त शर्करा स्तर यानी हाइपोग्लाइसीमिया होता है। जबकि, डॉन फेनोमेनन में कोई व्यक्ति सुबह के समय उच्च रक्त शर्करा स्तर यानी हाइपरग्लाइसेमिया की समस्या से पीड़ित होता है। सोमोगी प्रभाव को खत्म करने का सबसे आसान तरीका है कि सोते समय यानी लगभग 2 से 3 बजे तक और जागने के बाद रक्त शर्करा के स्तर की जांच की जाए। आमतौर पर किसी को व्यक्ति को यह जांच प्रक्रिया कई रातों और सुबह तक इस्तेमाल करनी चाहिए। कुछ लोग एंडलेस ग्लूकोज मॉनिटर पहनना पसंद कर सकते हैं। यह डिवाइस पूरे दिन और रात में आपके शर्करा स्तर को रिकॉर्ड कर सकते हैं, जिससे रक्त शर्करा के स्तर में उतार-चढ़ाव के बारे में पता लगाया जा सकता है। नीचे दिए संभावित नतीजे और उनके स्पष्टीकरण दिए गए हैं:

  1. अगर आपके शरीर में रक्त शर्करा का स्तर 2 से 3 बजे के बीच कम है, तो यह सोमोगी प्रभाव हो सकता है।
  2. अगर 2 से 3 बजे के बीच रक्त शर्करा का स्तर सामान्य या उच्च होता है, तो इसका कारण डॉन फेनोमेनन यानी सुबह के समय रक्त शर्करा का उच्च स्तर है।

डॉन फेनोमेनन से बचाव – Dawn Phenomenon Se Bachav

डायबिटीज से पीड़ित लोगों के लिए रक्त शर्करा के स्तर का प्रबंधन करना बहुत ज़रूरी है। अगर किसी व्यक्ति के शरीर में रक्त शर्करा का स्तर नियमित रूप से 180 मिलीग्राम प्रति डेसीलीटर से ज़्यादा है, उसे चिकित्सा सहायता लेने की ज़रूरत है। इसे नजरअंदाज किये जाने से जटिलताएं गंभीर होकर ज़्यादा बढ़ सकती हैं। लक्षणों को नियंत्रित करने और जटिलताओं को कम करने के लिए अक्सर कई उपायों की मदद ली जा सकती है, जिनमें आहार, व्यायाम और दवाओं का संयोजन शामिल है। हालांकि, डॉन फेनोमेनन के मामले में कुछ अतिरिक्त बदलाव रक्त शर्करा में उछाल से पैदा होने वाली समस्याओं को रोकने में आपकी मदद कर सकते हैं।

डायबिटीज वाले लोगों को सुबह के समय रक्त शर्करा का उच्च स्तर यानी डॉन फेनोमेनन को मैनेज करने के लिए कुछ ज़रूरी उपायों के पालन की सलाह दी जाती है। इनमें नीचे दिए गए विकल्प शामिल हैं:

  • अपनी दवा बदलने या एडजस्ट करने को लेकर डॉक्टर से बात करें।
  • नियमित रूप से भोजन करें।
  • डॉक्टर द्वारा प्रिस्क्राइब सभी दवा की खुराक को समय पर लेना।
  • सोते समय कार्बोहाइड्रेट के सेवन से परहेज़ करने की कोशिश करें।
  • सोते समय दवा लें।
  • रात का खाना शाम को जल्दी खाएं।
  • रात को भोजन करने के बाद आप कुछ हल्की शारीरिक गतिविधि कर सकते हैं। इनमें टहलना, जॉगिंग या योगा जैसी गतिविधियां शामिल हैं।

अगर आपके शरीर में रक्त शर्करा का स्तर समय-समय पर बढ़ रहा है, तो आपको इसे लेकर घबराने की कोई ज़रूरत नहीं है। हालांकि, अगर यह नियमित रूप से होता है, तो आपको अपने डॉक्टर से बात करने और इसके कारणों को जानने की सलाह दी जाती है।

डॉन फेनोमेनन के घरेलू उपचार – Dawn Phenomenon Ke Gharelu Upchar

डॉन फेनोमेनन के घरेलू उपचार

कुछ सामान्य घरेलू उपचार या जीवनशैली में बदलाव हैं, जो सुबह के समय उच्च रक्त शर्करा के जोखिम को कम करने में आपकी मदद कर सकते हैं। इनमें निम्नलिखित शामिल हैं:

  • किसी भी शाम के नाश्ते का प्रोटीन से कार्ब्स का अनुपात बढ़ाना।
  • हर रात 6 से 8 घंटे की अच्छी नींद लें। कोर्टिसोल को कम करने, ग्लूकोज लेवल को नियंत्रित करने और आधी रात से पहले सोने की कोशिश करें।
  • रक्त शर्करा में कमी के लिए चिकित्सकीय देखरेख में कार्ब का कम सेवन करें।
  • रात का खाना शाम को जल्दी खाएं। शाम को रक्त शर्करा कम करने के लिए देर रात को स्नैक्स लेने से बचें।
  • दिन में एक बार ऐसा भोजन करें, जिसमें रक्त शर्करा को एडजस्ट करने के लिए कार्बोहाइड्रेट की सबसे कम हो।
  • कम कार्बोहाइड्रेट वाला नाश्ता करें। इनमें मौजूद शर्करा आपको सुबह के समय ज़्यादा इंसुलिन प्रतिरोधी बनाती है।
  • जागने के बाद जल्दी नाश्ता करें। सुबह जल्दी खाने से आपके शरीर को इंसुलिन रिलीज करने में मदद मिलती है, जिससे रक्त शर्करा कम होती है।
  • शाम को ज़्यादा गतिविधि करें।
  • नाश्ता से उच्च रक्त शर्करा में योगदान देने वाले हार्मोन के संयोजन को रोका जा सकता है।
  • अगर किसी व्यक्ति को निम्न रक्त शर्करा स्तर की समस्या है, तो, नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर डायबिटीज एंड डाइजेस्टिव एंड किडनी डिजीज (एनआईडीडीके) द्वारा उसे भोजन के बाद ज़्यादा पानी पीने और टहलने की सलाह दी जाती है।

डायबिटीज वाले लोगों को किसी भी घरेलू उपचार आजमाने या दवाएं बंद करने से पहले डॉक्टर से बात करनी चाहिए। अगर डॉन फेनोमेनन की घटना नियमित रूप से होती है, तो सबसे आसान विकल्पों के लिए डॉक्टर से सलाह लें। इससे डायबिटीज वाले लोगों को उच्च रक्त शर्करा स्तर के गंभीर नतीजों को रोकने में मदद मिल सकती है। नियमित रक्त ग्लूकोज स्पाइक्स डायबिटीज की जटिलताओं का खतरा बढ़ा सकते हैं।

डॉन फेनोमेनन का निदान – Dawn Phenomenon Ka Nidan

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ज़्यादातर लोग यह जानना चाहते हैं कि सुबह की बढ़ी हुई रक्त शर्करा की संख्या डॉन फेनोमेनन की वजह से है या नहीं। इसका पता लगाने के लिए आपको डॉक्टरों द्वारा दिनभर रक्त शर्करा का चैक करने की सलाह दी जाती है, जिससे डायबिटीज या इससे जुड़ी किसी जटिलता को समय रहते रोका या नियंत्रित किया जा सकता है।

इसके सबसे ज़रूरी और शुरुआती कदम के मुताबिक, आपको यह जानना चाहिए कि आपका खाली पेट रक्त शर्करा का स्तर यानी फास्टिंग ग्लूकोज़ लेवल कितना है। चाहे वह डॉक्टर से आपके सबसे अपडेट प्रयोगशाला मूल्य हों या मीटर के साथ अपने ग्लूकोज की जांच करना। यह जानने का सबसे आसान तरीका है कि आपका उपवास ग्लूकोज कहां गिरता है। इसके लिए आपको अलग-अलग दिनों में रक्त शर्करा स्तर की जांच करनी चाहिए। इसी तरह डॉक्टर आपको भोजन से पहले, भोजन के बाद और सोने से पहले पूरे दिन अपने ग्लूकोज लेवल की जांच करने की सलाह देते हैं।

इन परीक्षणों से आपको यह पता लगाने में मदद मिल सकती है कि आपका शरीर आपके द्वारा खाए जाने वाले किसी भी भोजन के प्रति कैसे प्रतिक्रिया करता है। एक बार जब आप पर्याप्त परीक्षण कर लेते हैं, तो इससे आप अपनी मौजूदा समय की आदतों के साथ ही अपने बेसलाइन ग्लूकोज के बारे में बहुत आसानी से समझ सकते हैं। डॉक्टरों का कहना है कि इस पूरे परीक्षण के बाद आपको नीचे दी गई हर एक योजना अपनी दैनिक दिनचर्या में शामिल करने की कोशिश करनी चाहिए। साथ ही आप अपना रक्त शर्करा का परीक्षण जारी रख सकते हैं। इसकी मदद से आप यह देख सकते हैं कि हर बदलाव का सुबह के समय आपके उपवास ग्लूकोज (फास्टिंग ब्लड ग्लूकोज) पर क्या असर होता है।

डॉन फेनोमेनन का उपचार – Dawn phenomenon Ka Upchar

सुबह के समय उच्च रक्त शर्करा स्तर वाले डायबिटीज के मरीजों को अपनी इंसुलिन खुराक को एडजस्ट करने की ज़रूरत हो सकती है। इस समस्या के लिए उपचार संभवतः रक्त शर्करा में बढ़ोतरी के उपचार के बराबर हो सकता है, जिसमें नीचे दिए विकल्प शामिल किये जा सकते हैं, जैसे:

  • आप इंसुलिन के इंजेक्शन ले सकते हैं।
  • रक्त शर्करा का स्तर बढ़ने पर आप ध्यान केंद्रित करने के लिए खास दवा का इस्तेमाल कर सकते हैं।

डायबिटीज से पीड़ित सभी व्यक्तियों को अपने डॉक्टर से यह पूछना चाहिए कि जब उनके शरीर में रक्त शर्करा का स्तर बढ़ जाए, तो उन्हें क्या करना चाहिए। साथ ही यह भी जानने की कोशिश करनी चाहिए कि उनके पास डॉन फेनोमेनन है या नहीं। कई लोगों को अक्सर सुबह के दौरान उच्च रक्त शर्करा स्तर का अनुभव होता है। आमतौर पर ऐसे लोगों को डॉक्टर द्वारा उपचार योजना में बदलाव और इंसुलिन या दवा की खुराक को एडजस्ट करने की सलाह दी जा सकती है।

डॉन फेनोमेनन में सुधार की ज़रूरत – Dawn Phenomenon Mein Sudar Ki Zarurat

डॉक्टरों का कहना है कि सुबह के समय उच्च रक्त शर्करा स्तर में सुधार की कोई ज़रूरत नहीं होती है, क्योंकि यह आपके जागने के बाद होने वाली प्राकृतिक घटना है। हालांकि, यह जानना आपके लिए बेहद ज़रूरी है कि उपवास के दौरान बढ़े हुए ग्लूकोज की वजह से आपके पास पूरे दिन ग्लूकोज का कितना स्तर कम या सामान्य रहेगा। इसके अलावा पौष्टिक कीटोसिस की मदद से अपने डायबिटीज को ठीक करने वाले मरीजों के लिए यह असामान्य नहीं है कि वह सुबह के समय उच्च रक्त शर्करा के स्तर को महसूस करें। साथ ही आपको अपने एचबीए1सी में सुधार पर भी ध्यान देना चाहिए। आमतौर पर ऐसा इसलिए किया जाता है, क्योंकि एबीए1सी पिछले 3 महीनों में आपके रक्त शर्करा के माप की जानकारी देता है। यह औसत रक्त शर्करा के स्तर की माप है, जो किसी भी व्यक्तिगत रक्त शर्करा के स्तर से ज़्यादा मायने रखती है।

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